(वाह-रे-प्रशासन) नाम व ड्रा किसी का, पटाखे बेचेगा कोई और ?

आम जनता को गुमराह करके केवल दिखावे के लिए निकाला जाता है ड्रा
पहले से ही सब कुछ होता है सैट, दुकान कौन चलाएगा इसका फैसला पहले से होता है तय
जालंधर, 13 अक्बूतर : हर साल हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्यौहार दीपावली से ठीक पहले प्रशासन और शहर के कुछ पटाखा कारोबारी लाटरी व ड्रा निकालने का एक ऐसा कारनामा करते हैं, जिसमें आम जनता को केवल वही दिखाया जाता है, जो वह दिखाना चाहते हैं। हर बार की तरह इस बार भी 322 कारोबारियों ने अपनी-अपनी पर्ची डाली थी और उसमें से केवल 20 लोगों के आवेदन ही सफल होने थे, जिनका ड्रा में नाम निकलना था।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस 322 जैसी बड़ी गिनती में एक बहुत बड़ा हिस्सा फर्जी नामों का डाला गया था, जिसमें ऐसे दुकानदार जो न तो पटाखा बेचने का काम कर रहे हैं या काफी देर पहले छोड़ चुके हैं, उनके नाम से आवेदन जमा करवा दिए गए। जिसकी उनको पहले कोई जानकारी तक नहीं थी। इतना ही नहीं कुछ बड़े पटाखा कारोबारियों ने अपने पारिवारिक सदस्यों, अपने रिश्तेदारों और अपने स्टाफ के नाम से भी आवेदन जमा करवाए, ताकि 20 पर्चियों में उनका नाम आने की संभावना बढ़ सके।
वैसे इस बात से तो पूरा शहर भली-भांती परिचित है कि कहने को तो केवल 20 ड्रा निकाले जाते हैं, मगर हर साल दुकानों की गिनती 180 से 200 के करीब होती है। इतना ही नहीं आस-पास 100 से अधिक फड़ियां भी लगवाई जाती हैं, जिसके लिए कुछ प्रभावशाली लोग अपने रसूख व सैटिंग का इस्तेमाल करते हुए मोटा पैसा वसूलते हैं।
लगभग 170-180 कारोबारियों से यही प्रभावशाली लोग मोटी राशी वसूलकर उन्हें पटाखा बेचने के लिए अपने तरफ से ही अवैध परमीशन दे देते हैं। और साथ ही प्रशासन व मीडिया से प्रौटैक्शन दिलाने की भी फुल गारंटी ली जाती है। यह प्रभावशाली लोग प्रशासन के कुछ उच्च-अधिकारियों के साथ पहले ही पूरी सैटिंग कर लेते हैं और मीडिया की कुछ काली भेड़ों के साथ भी पूरे शहर की मीडिया बिरादरी के नाम पर ठेका अलाट कर देते हैं, ताकि अगर कोई खबर लगाए तो उसे रोकने की ज़िम्मेदारी भी उक्त तथाकथित मीडिया के ठेकेदारों को सौंपी जाती है।
अलाट हुए हैं 20 ब्लाक, प्रभावशालियों की जादुई शक्ति से बनेंगे 140 ब्लाक
कहने को तो प्रशासन की तरफ से कुल 20 अलाटियों को अस्थाई लाईसैंस देते हुए केवल 20 ब्लाक ही अलाट किए गए हैं जिनका साईज़ 90 x 30 या 90 x 20 तय किया गया है। मगर कुछ प्रभावशालियों की जादुई शक्ति से केवल 20 ब्लाक 140 ब्लाकों का रूप धारण कर लेंगे। जिनका साईज़ होगा 10 x 30 या 10 x 20। इस काम के लिए पहले ही 50 हज़ार रूपए की राशी ले ली गई है, जिसमें से ब्लाक के बनाने व हाईकोर्ट में याचिका दायर करना का खर्च शामिल किया गया है। इसके बाद 30 से 35 हज़ार रूपए की अतिरिक्त राशी वसूली जाएगी, जिसका एक बड़ा हिस्सा कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की आंखों पर पट्टी बांधने व तथाकथित मीडिया ठेकेदारों का मुंह बंद करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
हर बार की तरह इस बार भी प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे कई सवाल
वैसे तो यह कोई नई बात नहीं है और न ही पहली बार ऐसा हो रहा है। हर साल कुछ ऐसी ही सैटिंग होती है और सबकुछ नार्मल ढंग से संपन्न हो जाता है। मगर हर बार की तरह इस बार भी प्रशासन की चुप्पी पर सवाल ज़रूर उठने शुरू हो चुके हैं। क्योंकि सब कुछ जानते हुए भी केवल आम जनता को बुद्दू बनाने के लिए बयान तो बहुत कड़े जारी किए जाते हैं, मगर अमलीजामा पहनाने के नाम पर कुछ नहीं किया जाता।
"राजू पटाखा" जैसे सैंकड़ों लोग सरेआम पटाखे बेचते आएंगे नज़र
प्रशासन द्वारा जिन 20 लोगों को अस्थाई लाईसैंस जारी किए गए हैं, कानूनन केवल वही तय स्थान पर पटाखे बेच सकते हैं, मगर राजू पटाखा जैसे कई बड़े व रसूखदार पटाखा कारोबारियो के साथ-साथ सैंकड़ों की गिनती में ऐसे कारोबारी सरेआम पटाखा बेचते देखे जाएंगे जिनके लाईसैंस मिला ही नहीं है। मगर प्रशासन फिर भी इन लोगों पर कोई कारवाई नहीं करेगे, क्योंकि यहां पैसों की ताकत के सामने कोई कुछ नहीं कर सकता।

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