बिना एनओसी के रजिस्ट्री करवाने के लिए तहसील के शातिर भाईयों ने लगाया नया जुगाड़ !

कंप्यूटर पर एडिट करके बनाई जा रही नगर निगम की जाली एनओसी, नक्शा पास की रसीदें !
आम जनता, अधकिरियों व सरकार को लगा रहे चूना, वैरीफिकेशन करवाने से सामने आ सकता है बड़ा फर्जीवाड़ा !
जालंधर, 25 सितंबर : जालंधर की तहसील का लंबे समय से विवादों के साथ चोली-दामन का साथ बना हुआ है। यहां पूर्व में कई बड़े फर्जीवाड़ों व जालसाजियों के मामले सामने आते रहे हैं। चाहे जाली एनओसी का मामला हो, चाहे जाली क्लासिफिकेशन का मामला हो, चाहे डैड-मैन (यानि कि मृत व्यक्तियों की जगह किसी अन्य को ज़िंदा साबित करना) वाला मामला हो, चाहे अन्य सराकारी दस्तावेज़ों के साथ छेड़-छाड़ या हेरा-फेरी का मामला हो, जालंधर की तहसील का पूरे प्रदेश में सदैव ही अव्वल स्थान बना रहा है।
अगर जालंधर तहसील में हुए कारनामों की बात करें तो नगर निगम एवं पुडा की जाली एनओसी द्वारा एक-दो नहीं बल्कि हज़ारों की गिनती में रजिस्ट्रियां करवाई जा चुकी हैं। इतना ही नहीं हज़ारों की गिनती में नगर निगम की जाली क्लासिफिकेशन लगाकर भी रजिस्ट्रियां करवाई जाती रहीं। तहसील सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उसके बाद जब प्रदेश सरकार द्वारा बिना एनओसी के रजिस्ट्री करवाने के लिए छूट प्रदान की गई तो तहसील के शातिर करिंदों ने पुरानी डेट वाले स्टांप पेपर लगाकर पुराना एग्रीमैंट बताकर रजिस्ट्री करवाने का नया जुगाड़ शुरू कर दिया था।
तहसील सूत्रों का कहना है कि अब यह छूट खत्म होने के बाद सब सोच रहे थे कि शायद कोई नया जुगाड़ नहीं लग पाएगा, मगर तहसील के शातिर भाईयों ने इसका भी तोड़ ढूंढ निकाला। जिसकी मदद से पिछले कुछ दिनों से "टी.- बी." नाम वाले तहसील के शातिर दो भाई फर्जीवाड़ा करते हुए दोनों हाथों से मोटी चांदी कूटने का काम कर रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो यह वही दो भाई हैं जिन्होने लंबा पिंड के नज़दीक अपना साम्राज्य बनाकर बैठे एक कालोनाईज़र की अवैध कालोनी के लिए सैंकड़ों की गिनती में जाली एनओसी व जाली क्लासिफिकेशन लगाकर दस्तावेज़ रजिस्टर्ड करवाए थे और लाखों रूपए की काली कमाई की थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब नगर निगम की जाली एनओसी और नक्शा पास के जाली दस्तावेज़ कंप्यूटर पर एडिट करके रजिस्ट्री दस्तावेज़ों के साथ लगाए जा रहे हैं, ताकि अधिकारी उनके दस्तावेज़ों को तुरंत अप्रूवल प्रदान कर दें। इस बात की जानकारी अधिकारियों के कानों तक भी पहुंच चुकी है। जिसके चलते अब जिन दस्तावेज़ों पर शक हो रहा है, उनकी नगर निगम से जानकारी प्राप्त की जा रही है। ताकि किसी किस्म की जालसाजी या फर्जीवाड़े का पता लगते ही संबंधित लोगों पर बनती कानूनी कारवाई करवाई जा सके।
सूत्रों का कहना है कि जालसाजी वाले ऐसे मामलों में जहां अधिकारियों व सरकार को चूना लगाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ 40 से 50 हज़ार रूपए जैसी मोटी राशी वसूलकर सरेआम भ्रष्टाचार का यह नंगा नाच जालंधर की तहसील में खेला जा रहा है। जिसके ऊपर तुरंत रोक लगाए जाने की ज़रूरत है।

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