जालंधर के क्लब में हुई हिंसक झड़प, रसूखदार परिवारों के युवकों के बीच हुआ टकराव !
PUBLISH DATE:
06-08-2025

राजनीतिक रसूख और "स्व-घोषित मीडिया प्रतिनिधियों " की सैटिंग के चलते दबता नजर आ रहा मामला
जालंधर, 4 अगस्त : शहर के प्रतिष्ठित क्षेत्र में संचालित एक क्लब पिछले 1-2 दिनों से काफी सुर्खियों में है। शनिवार रात क्लब में दो रसूखदार परिवारों के युवकों के बीच हुए हिंसक टकराव ने कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए है।
घटना के अनुसार, क्लब में बिल्डर और डिवेलपर मल्होत्रा के 23 वर्षीय बेटे और लैदर कारोबारी भाटिया के 32 वर्षीय बेटे टैबी के बीच किसी बात को लेकर तीखी बहस हुई, जो जल्द ही हाथापाई और हिंसा में तब्दील हो गई। बताया जा रहा है कि इस झड़प में मल्होत्रा के बेटे को गंभीर चोटें आई हैं और उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक, दोनों पक्षों ने मेडिकल लीगल रिपोर्ट (MLR) भी बनवा ली है और पुलिस के पास शिकायत भी पहुंच गई है। हालांकि, अब तक पुलिस ने किसी पक्ष की ओर से औपचारिक बयान दर्ज नहीं किए हैं।
स्व-घोषित मीडिया प्रतिनिधियों ने सेंकी रोटी, खबर रोकने का किया हर प्रयास
हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद इस खबर को प्रकाशित नहीं होने दिया गया। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, घटना में शामिल एक पक्ष ने कथित रूप से कुछ स्व-घोषित मीडिया प्रतिनिधियों और संगठनों के साथ एक मोटी 'डील' कर खबर को रोके रखने का प्रयास किया है। इससे मीडिया की निष्पक्षता और जिम्मेदारी पर भी प्रश्नचिह्न लग रहे हैं। हालांकि सारा मीडिया न तो इन कुछ तथाकथित प्रधानों के कहने पर चलता है और न ही पत्रकारिता के साथ किसी किस्म का कोई समझौता ही करता है। इसलिए आने वाले कुछ दिनों में इस खबर की तह तक जाकर कई पत्रकार जिन्होंने अपनी अंतरआत्मा को अभी नहीं बेचा है, वह इस मामले का पूरा खुलासा ज़रूर करेंगे।
मामले को शांत करवाने के प्रयास, लेकिन कानूनी कार्रवाई की आशंका बरकरार
शहर के जानकारों का मानना है कि दोनों पक्षों की ओर से फिलहाल मामले को शांतिपूर्वक सुलझाने की कोशिशें की जा रही हैं। शहर के कई पावरफुल लोग और रसूखदार दोनों पक्षों की तरफ से पैरवी करने के लिए अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। पिछले दो दिन से पूरे शहर में केवल इसी मामले को लेकर चर्चाएं जारी हैं। मगर अंदरूनी सूत्र यह भी बता रहे हैं कि दोनों पक्ष एक दूसरे पर मामला दर्ज करवाने की तैयारी कर रहे है।
प्रशासन और पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में
इस पूरी घटना ने न केवल क्लब की अवैध गतिविधियों पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है, बल्कि प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। क्या दोनों रसूखदार पक्षों के दबाव में मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा ? और क्या शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने का दावा सिर्फ़ काग़ज़ों तक सीमित रह जाएगा ?
फिलहाल पूरे शहर में इस घटना को लेकर चर्चा गर्म है। अब निगाहें प्रशासन पर हैं कि वह निष्पक्ष कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव के नीचे दबकर रह जाता है।

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