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तहसील में जाली एनओसी फैक्टरी चलाने वाले टी..बी.. भाईयों के काले कारनामों का जल्दी खुलने वाला है कच्चा-चिट्ठा !

PUBLISH DATE: 03-10-2025

सीएम, डीजीपी, विजीलैंस के पास पिछले 1 महीने में हुई रजिस्ट्रियों की जांच के लिए शिकायत भेजी


जांच में खुल सकते हैं कई बड़े स्कैंडल, हो सकता है फर्जीवाड़े का पर्दाफाश


कंप्यूटर पर एडिट करके बना रहे हैं नगर निगम की जाली एनओसी, नक्शा पास की रसीदें !


 


जालंधर 3 अक्तबूर : "टी.- बी." नाम वाले तहसील के शातिर दो भाई जो तहसील में जाली एनओसी छापने वाली फैक्टरी खोलकर बैठे हैं, अब उनके काले कारनामों का पूरा कच्चा-चिट्ठा खुलने वाला है और इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा उनके द्वारा करवाई गई जाली एनओसी वाली रजिस्ट्रियों की जांच में हो सकता है।


सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन दोनों भाईयों के खिलाफ सीएम, डीजीपी और विजीलैंस के पास एक लिखित शिकायत भेजी गई है। जिसमें मांग की गई है, कि पिछले 1 महीने के अंदर जालंधर में जितनी रजिस्ट्रियों में आफलाईन एनओसी या नक्शा पास की रसीदें लगाई गई हैं, उनकी नगर निगम व पुडा से वैरीफिकेश करवाई जाए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। अगर सब कुछ सही रहता है और इस शिकायत को ठंजे बस्ते में नहीं डालते हुए इसकी गहन जांच करवाई जाती है तो एक बड़े स्कैंडल व फर्जीवाड़ें का पर्दाफाश होने की संभावना जताई जा रही है। 


"टी.- बी." नाम वाले तहसील के शातिर दो भाई जो न तो वसीका नवीस हैं और न ही कोई अष्टामफरोष, मगर पिछले लंबे समय से तहसील में होने वाली लगभग सभी जालसाजियों में इनका हाथ बताया जा रहा है। इनकी दबंगई के किस्से भी काफी मश्हूर हैं और सूत्रों की मानें तो लंबा पिंड के आस-पास अवैध कालोनियां काटकर करोड़पति बने एक कालोनाईज़र का इनके इस धंधे में पूरा हाथ है। क्योंकि उक्त कालोनाईज़र की सभी अवैध कालोनियों की रजिस्ट्रियां इन दोनों भाईयों ने ही जाली दस्तावेज़ों के आधार पर करवाई हैं। इन दोनों भाईयों की जांच में उक्त कालोनाईज़र पर भी गाज गिरना लगभग तय माना जा रहा है। 


यहां बताने लायक है कि जालंधर की तहसील का लंबे समय से विवादों के साथ चोली-दामन का साथ बना हुआ है। यहां पूर्व में कई बड़े फर्जीवाड़ों व जालसाजियों के मामले सामने आते रहे हैं। चाहे जाली एनओसी का मामला हो, चाहे जाली क्लासिफिकेशन का मामला हो, चाहे डैड-मैन (यानि कि मृत व्यक्तियों की जगह किसी अन्य को ज़िंदा साबित करना) वाला मामला हो, चाहे अन्य सराकारी दस्तावेज़ों के साथ छेड़-छाड़ या हेरा-फेरी का मामला हो, जालंधर की तहसील का पूरे प्रदेश में सदैव ही अव्वल स्थान बना रहा है। और अगर जालंधर तहसील में हुए कारनामों की बात करें तो नगर निगम एवं पुडा की जाली एनओसी द्वारा एक-दो नहीं बल्कि हज़ारों की गिनती में रजिस्ट्रियां करवाई जा चुकी हैं। इतना ही नहीं हज़ारों की गिनती में नगर निगम की जाली क्लासिफिकेशन लगाकर भी रजिस्ट्रियां करवाई जाती रहीं। तहसील सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उसके बाद जब प्रदेश सरकार द्वारा बिना एनओसी के रजिस्ट्री करवाने के लिए छूट प्रदान की गई तो तहसील के शातिर करिंदों ने पुरानी डेट वाले स्टांप पेपर लगाकर पुराना एग्रीमैंट बताकर रजिस्ट्री करवाने का नया जुगाड़ शुरू कर दिया था।


सूत्रों का कहना है कि जालसाजी वाले ऐसे मामलों में जहां अधिकारियों व सरकार को चूना लगाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ 40 से 50 हज़ार रूपए जैसी मोटी राशी वसूलकर सरेआम भ्रष्टाचार का यह नंगा नाच जालंधर की तहसील में खेला जा रहा है। जिसके ऊपर तुरंत रोक लगाए जाने की ज़रूरत है।