(हाल-ए-लायंस क्लब जलंधर PART-1) खत्म होने का नाम नहीं ले रहा बवाल, सरेआम नज़र आने लगी आंतरिक कलह व आपसी खींचतान !

35 बोर्ड सदस्यों ने बुलाई आपातकालीन बोर्ड व जनरल हाऊस मीटिंग
मौजूदा प्रधान की निष्क्रियता पर जताई नाराजगी
जालंधर, 16 जून : लायंस क्लब ऑफ जलंधर के भीतर आंतरिक असंतोष खुलकर सामने आ गया है। क्लब के 35 बोर्ड सदस्यों ने क्लब के मौजूदा प्रधान श्रीराम आनंद की निष्क्रियता और बार-बार के अनुरोधों के बावजूद आपात बैठक न बुलाने पर नाराजगी जताते हुए, खुद ही बोर्ड व जनरल मीटिंग बुलाने का फैसला लिया है। क्लब सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार क्लब प्रधान के खिलाफ क्लब के ही कुछ सीनियर सदस्यों ने मोर्चा खोलते हुए एक ज्वाईंट एक्शन कमेटी का गठन किया है। जिसका संयोजक सीनियर लायन सदस्य अश्विनी सहगल को नियुक्त किया गया है। अश्विनी सहगल की तरफ से एक पत्र क्लब के सभी सदस्यों को भेजा गया है, जिसमें लिखा गया है, कि उपरोक्त सभी मुद्दों पर पहले ही लिखित में मौजूदा प्रधान को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने के चलते अब मजबूरन यह कदम उठाया गया है। मीटिंग के बाद सभी सदस्यों को एकजुटता और मेल-मिलाप के उद्देश्य से रात्रि भोज पर आमंत्रित किया गया है। चिटठी में सभी क्लब सदस्यों से अपील की गई है कि वे क्लब की गरिमा, मूल्य और कार्यप्रणाली की रक्षा हेतु इस अहम बैठक में अवश्य भाग लें।
कब बुलाई गई है आपातकालीन मीटिंग
ज्वाईंट एक्शन कमेटी की ओर से यह बैठक बुधवार, 18 जून 2025 को शाम 7:30 बजे (बोर्ड मीटिंग) और 8:00 बजे (जनरल मीटिंग) लायंस क्लब जलंधर परिसर में आयोजित की जाएगी। बैठक का उद्देश्य क्लब की कार्यप्रणाली से जुड़ी गंभीर समस्याओं पर चर्चा करना और समाधान निकालना है।
माटिंग में उठाए जाएंगे कौन-कौन से प्रमुख मुद्दे ?
- अधिकारों का दुरुपयोग और भ्रामक सूचना का प्रसार
- लायन मनीष चोपड़ा का असंवैधानिक निलंबन
- वरिष्ठ सदस्यों के प्रति अपमानजनक व्यवहार और जबरन इस्तीफे
- प्रतिनिधियों के नामांकन में धांधली
- फंड जनरेशन और स्टाफ प्रबंधन में लापरवाही
- क्लब की सदस्यता में गिरावट व प्रेरणा की कमी
प्रधानगी में केवल कुछ दिन बाकी, फिर ऐसा करना सही नहीं
जहां क्लब की एक लाबी मौजूदा प्रधान को कटघरे में खड़ा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ एक लाबी ऐसी भी है, जिसका मानना है कि कुछ दिन पहले विवाद खत्म हो चुका था। और मौजूदा प्रधान के कार्यकाल की समाप्ति में केवल चंद दिन ही बाकी बचे हैं। ऐसे में नई चिट्ठी लिखकर क्लब के एक सीनियर सदस्य के खिलाफ गंभीर आरोप लगाना और उन्हें क्लब सदस्यों के बीच शर्मिंदा करने का प्रयास करना किसी कीमत पर सही नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे सदस्यों का कहना है कि केवल कुछ लोग जिन्हें अपना मनपसंद पद नहीं मिला, वह एक सोची-समझी साजिश के चलते क्लब का माहौल खराब करने के साथ-साथ छवि को नुक्सान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे क्लब को आगामी समय के अंदर बड़ी क्षति पहुंच सकती है। जिसके लिए उक्त लोग ही पूरी तरह से ज़िम्मेदार होंगे।
कैसे शुरू हुआ था विवाद ?
किसी समय एशिया की सबसे बड़ी क्लब होने का दर्जा प्राप्त लायंस क्लब जालंधर इन दिनों अंदरूनी कलह और आपसी रंजिश के चलते दो-फाड़ होने की कगार पर पहुंच चुकी है। हाल ही में बड़ी तेज़ी से एक के बाद एक हुए घटनाक्रमों के बाद आने वाले दिनों में कई बड़े धमाकों की संभावना बनती हुई दिखाई दे रही है। जिसमें सबसे बड़ा धमाका वर्तमान प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चल रही तैयारी है। क्लब सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस दिन से पूर्व प्रधान मनीश चोपड़ा को क्लब से निलंबित किया गया और आने वाले प्रधान प्रभजोत सिंह सहित तीन लोगों का इस्तीफा स्वीकार करके उन्हें क्लब से बाहर का रास्ता दिखाया गया। उसी दिन से मौजूदा प्रधान के खिलाफ क्लब की एक लाबी ने अंदरखाते काम करना आरंभ कर दिया था।
मनीष चोपड़ा के कार्यकाल के दौरान क्लब की सदस्यता फीस से संबंधित जीएसटी राशि के भुगतान में अनियमितताओं को लेकर क्लब की इंटरनेशनल इकाई को शिकायत भेजी गई थी। इसके बाद मनीष को अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया गया था। प्रभजोत सिंह के साथ-साथ पूर्व प्रधान हरभजन सिंह सैनी और जेपीएस सिद्धू ने भी कुछ महीने पहले क्लब के भीतर हुए विवाद के चलते इस्तीफा दे दिया था।
यह विवाद पूर्व अध्यक्ष मनीष चोपड़ा के निलंबन से जुड़ा था, जिसे लेकर क्लब में मतभेद गहराए और अंततः चार वरिष्ठ सदस्यों ने नाराज होकर क्लब छोड़ दिया। हालांकि, वरिष्ठ सदस्यों की मध्यस्थता के बाद मामला शांत हुआ और सभी सदस्यों ने क्लब में पुनः सदस्यता ग्रहण की, लेकिन प्रभजोत सिंह की सदस्यता तो बहाल कर दी गई थी, मगर उनका पद (नए वित्तीय वर्ष में प्रधानगी) नहीं बहाल किया गया था। उनकी इस बार की दावेदारी समाप्त कर दी गई थी। जिसके बाद क्लब में काफी बड़ा विवाद देखने को मिला था। और नामीनेशन कमेटी की मीटिंग वाले दिन जमकर हंगामा भी देखने को मिला था।
इस हंगामे के दौरान मौजूदा टीम के खिलाफ अधिकतर सदस्यों ने उनको फैसलों को लेकर रोष जताया था। जिसके बाद मौजूदा टीम को बैकफुट पर आते हुए पुरानी तय की गई टीम की घोषणा मंच से करनी पड़ी थी। इस पूरे घटनाक्रम के बाद क्लब सदस्यों का यही मानना था, कि सब कुछ सही हो गया है और अब क्लब में स्थिति सामान्य हो जाएगी। मगर जिस तरह से नई चिट्ठी जारी हुई है, उसको देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि अभी भी क्लब में अंदर ही अंदर कोई चिंगारी सुलग रही है, जो किसी भी समय भयानक आग का रूप धारण कर सकती है।
क्लब के अंदर दो पारवफुल ग्रुपों के बीच शुरू हुई एक अघोषित लड़ाई
सूत्रों की मानें तो पहले प्रधान को मनाने का प्रयास किया गया, पर जब वह अपने फैसले से टस से मस नहीं हुए तो एक लाबी ने इसे पूरी तरह से गलत ठहराते हुए आपस में संपर्क स्थापित करके उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का मन बना लिया। इसके लिए बाकायदा तौर पर क्लब के अंदर दो पारवफुल ग्रुपों के बीच एक अघोषित लड़ाई की शुरूआत हो चुकी है। जिसमें आपस में मीटिंगों का दौरा और अपनी सोच के साथ सहमति रखने वाले क्लब सदस्यों को अपने पाले में लाने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाना शामिल है।
क्लब सूत्रों का कहना है कि जो पत्र लिखकर क्लब के सारे सदस्यों को भेजा गया है, उसमें मौजदा प्रधान की कार्यप्रणाली एवं उनके फैसलों पर बड़े सवालिया निशान भी लगाए गए हैं। कुछ पूर्व अध्यक्षों और समिति के सदस्यों ने क्लब की कार्यशैली में पारदर्शिता की कमी, तानाशाही रवैये और संगठनात्मक नियमों के उल्लंघन को लेकर चिंता जताई है।

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