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(HNI EXCLUSIVE) मामला नायब तहसीलदार द्वारा गलत ढंग से इंतकाल करने एवं करप्शन काे लेकर दी गई शिकायत का - PART-3!

PUBLISH DATE: 09-01-2024

नए तथ्य आए सामने, पहले भी 3 बार नामंज़ूर हुआ था यह इंतकाल, दाेबारा से सबूताें सहित भेजी शिकायत, अपनी जान का जताया खतरा


नियमानुसार अपील की जानी थी दायर, किस बात की थी जल्दी, बिना पूरी पड़ताल के कैसे हुआ मंज़ूर - पवन


 


जालंधर, 9 जनवरी (कुमार अमित)


 


जालंधर तहसील का मौजूदा सबसे चर्चित मामला जिसमें एक नायब तहसीलदार के ऊपर 50 लाख से ऊपर की राशी बतौर रिश्वत लेकर न हाेने वाले इंतकाल गैरकानूनी, नियमाें के विपरीत एवं गलत ढंग से करने के गभीर आराेप लगे हैं। और इस मामले की शिकायत बाकायदा ताैर पर पंजाब सरकार एवं विजीलैंस के पास की गई है। उसमें अब एक नया माेढ़ सामने आया है, जिसमें शिकायतकर्ता ने एक बार फिर से प्रदेश के सीएम भगवंत सिंह मान, एफसीआर एवं विजीलैंस विभाग के पास दूसरी बार शिकायत भेजते हुए इस मामले में नए तथ्य सबूताें सहित पेश किए हैं। 


क्या हैं नए तथ्य, किस आधार पर कहा जा रहा है कि नायब तहसीलदार ने किया गैरकानूनी काम


शिकायतकर्ता पवन ने अपनी दूसरी शिकायत में कहा है कि जिस इंतकाल काे गैरकानूनी एवं गलत ढंग से करने के आराेप लगाए गए हैं, वह पहले भी 2 बार नामंज़ूर किया जा चुके हैं। अपनी शिकायत में पवन कुमार ने एक आरटीआई से प्राप्त जानकारी का उल्लेख करके उक्त सारी कापियां भी भेजी गई हैं। जिसमें कहा गया है कि इंतकाल नं 1711 मिति 10.09.1971, इंतकाल नं 1830 मिति 12.11.1974 और इंतकाल नं 2366 मिति 20.08.1997 काे तत्कालीन अधिकारियाें द्वारा नामंजूर किए जा चुके हैं। 


नियमनुसार इन इंतकालाें के नामंज़ूर हाेने के बाद पक्षकाराें काे इसकी संंबधित अधिकारियाें के पास अपील की जानी बनती थी। जाे उन्हाेंने नहीं की, बल्कि अब इतने सालाें बाद एक बार फिर से अपील में न जाते हुए आराेपी नायब तहसीलदार मनदीप सिंह के पास दाेबारा से इंतकाल दर्ज एवं मंज़ूर करने के लिए सीधे पेश करके गलत व गैरकानूनी ढंग से मंज़ूर करवा लिया गया, जाे कि सरासर गलत है।


क्याेंकि नायब तहसीलदार द्वारा इंतकाल मंज़ूर करते समय इस बात की काेई वैरीफिकेशन नहीं करवाई गई, कि यह पहले कितनी बार मंज़ूर हाेने के लिए दर्ज किया गया एवं नामंज़ूर किया जा चुका है। आखिर क्या कारण है कि संबंधित पक्ष इंतकाल नामंज़ूर हाेने के बाद अपील में जाने की जगह बार-बारअलग-अलग अधिकारियाें के पास दर्ज एवं मज़ूर करने के लिए पेश किया जाता रहा। और फील्ड स्टाफ एवं सर्किल रैवेन्यु अफसर ने इस बात काे ध्यान में क्याें नहीं रखा। 


क्या था मामला, किसने एवं क्यों की थी शिकायत ?


प्राप्त जानकारी के अनुसार जालंधर निवासी पवन कुमार वर्मा की तरफ से स्पैशल डीजीपी कम डायरैक्टर विजीलैंस ब्यूरो (SPECIAL DGP CUM DIRECTOR VIGILANCE BUREAU) एवं एफसीआर (FCR) के पास एक लिखित शिकायत देते हुए नायब तहसीलदार फगवाड़ा (तत्कालीन नायब तहसीलदार जालंधर-1) मनदीप सिंह के ऊपर बेहद गंभीर आराेप लगाते हुए एक लिखित शिकायत भेजी है, जिसमें उसके द्वारा कहा गया है कि उपराेक्त अधिकारी ने कराेड़ाें रूपए की आबादी देह की मालिकी पर दर्ज ज़मीन वाकिया खसरा नं 34 रकबा 19 कनाल 2 मरले, गांव चाेहक/218, तहसील व ज़िला जालंधर बाबत इंतकाल नं 7125, 7179, 7182 पंजाब पंजाब लैंड रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1887 (PUNJAB LAND REGISTRATION ACT, 1887) के सैक्शन (SECTION) 34(1), 39 और पंजाब लैंड रिकार्ड़ मैन्युल (PUNJAB LAND REVENUE MANAUAL) के पैरा (PARA) 7.17 और पंजाब सरकार माल, पुर्नवास एवं डिज़ास्टर मैनेजमैंट विभाग (अष्टाम एवं रजिस्ट्रेशन शाखा) के मीमाे नं 24/151/2012-एस.टी.1/8905-26 मिति 24.07.2014 द्वारा जारी हिदायताें के खिलाफ जाकर सेल सर्टिफिकेट मिति 11.02.1965 जारी हाेने के 58 साल बाद गलत ढंग से दर्ज करके माल रिकार्ड में प्राईवेट व्यक्तियाें की मलकीयत गैर-कानूनी ढंग एवं मिलिभगत के साथ कायम करने की वजह से अधिकारी के खिलाफ कानूनन बनती कारवाई की जाए। 


शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा है कि अधिकारी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर हाेने के बावजूद अपने अधिकाराें का दुरूपयाेग करते हुए इस मामले काे अंजाम दिया है। जिसमें कानून का सीधे तौर पर उल्लंघन किया गया है। इसलिए इसकी गहन पड़ताल करते हुए दाेषी पाए जाने पर एफआईआर दर्ज की जाए।


क्या हैं इंतकाल दर्ज करने काे लेकर कानून ?


पंजाब लैंड रैवेन्यु एक्ट, 1887 एवं पंजाब लैंड रैवेन्यु मैन्युल के अनुसार किसी भी रजिस्ट्री का इंतकाल करने के लिए जब भी काेई दस्तावेज सब-रजिस्ट्रार के पास जब रजिस्टर्ड हाे जाता है, ताे उसके उपरांत संबंधित पटवारी द्वारा 30 दिन के अंदर उक्त दस्तावेज का इंतकाल दर्ज करके संबधित कानूनगाे काे मुकाबले के लिए भेजना अनिवार्य है।


इसके बाद संबंधित तहसीलदार या नायब-तहसीलदार (सीआरओ - सर्किल रैवेन्यु अफसर) द्वारा उसके ऊपर मंज़ूर या नामंज़ूर या फिर झगड़े वाला संंबधी फैसला लेना हाेता है। अगर यह प्रक्रिया 90 दिन में पूरी नहीं हाेती है ताे उसके बाद कानून एसडीएम के मार्फत कलैक्टर यानि की डीसी के पास भेजा जाना हाेता है। अगर काेई झगड़े वाला मामला हाेता है ताे उस सूरत में सीआरओ संबंधित एसडीएम की अदालत में उसके निपटारे के लिए भेजता है।


पंजाब लैंड रैवेन्यु एक्ट, 1887 एवं पंजाब लैंड रैवेन्यु मैन्युल के सैक्शन 34 के अनुसार सीआरओ काे 3 महीने से अधिक समय बीतने पर इस केस काे कलैक्टर के पास भेजना ज़रूरी हाेता है। जिसके ऊपर ज़िला स्तर पर अंतिम फैसला कलैक्टर द्वारा ही लिया जाता है। इसके साथ ही पंजाब लैंड रैवेन्यु एक्ट, 1887 एवं पंजाब लैंड रैवेन्यु मैन्युल के सैक्शन 39 के अनुसार इस मामले में 5 गुणा तक जुर्माना लगाए जाने का भी प्रावधान है। 


 


मुझे शिकायत वापिस लेने के लिए बनाया जा रहा दबाव, पैसाे का भी दिया लालच, अगर मुझे या परिवार काे कुछ हुआ ताे अधिकारी हाेंगे ज़िम्मेदार - पवन


शिकायतकर्ता पवन कुमार ने हाट न्यूज़ इंडिया से बातचीत में कहा, कि उनके ऊपर शिकायत वापिस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इतना ही नहीं पैसाें का लालच भी दिया गया, जिसे उन्हाेंने साफ तौर पर मना कर दिया। उन्हाेंने कहा कि अगर उनके या उनके परिवार का काेई जानमाल का नुक्सान हाेता है ताे उसके लिए अधिकारी पूरी तरह से ज़िम्मेदार हाेंगे। 


 


इस संबधी जब नायब तहसीलदार से बात करने की काेशिश की गई ताे उनसे बात नहीं हाे सकी। जैसे ही उनसे बात हाेगी, उनका पक्ष भी प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा। 


 


देखें शिकायतकर्ता द्वारा भेजे गए पत्र एवं अन्य दस्तावेज़