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सितारे “पलटे”, ग्रह-दशा “बदली”, फर्श से अर्श तक पहुंच गए “शातिर ऐजैंट” !

PUBLISH DATE: 16-09-2025

(अंदर की बात) अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवा करके बन गए उनकी काली कमाई के मनी कलैक्टर !


विजीलैंस के राडार पर होने के बावजूद महंगी लगज़री गाड़ियों व पाश इलाके में कोठियों की मिली नियामत !


होशियारपुर व कपूरथला में लगातार चला रहे अपना करप्शन का नैटवर्क !


 (स्कैंडल पर्दाफाश  - पार्ट 2)


 


जालंधर, 16 सितंबर : फर्श से अर्श पर जाने का सपना तो हर किसी का होता है, मगर कड़ी मेहनत करने के बाद भी कई लोगों की पूरी जिंदगी बीत जाती है, मगर वह अपने रहने के लिए एक कमरा और छत तक नहीं बना पाते हैं। मगर जालंधर के आधा दर्जन शातिर ऐजैंट ऐसे हैं, जिनका सफर तो शुरू हुआ था डीसी दफ्तर के अंदर काम करने वाले कारोबारियों के पास बतौर मामूली निजी करिंदा, जो केवल फार्म भरने,चाय पिलाने आदि का काम करते थे। मगर आज इनकी शानो-शौकत की बात ही निराली है। उक्त एजैंटों के पास जहां एक से अधिक लगज़री कारें हैं, शहर के पाश इलाकों में कोठियां तक बना चुके हैं और रोज़ाना काली कमाई के लाखों रूपए कमाकर खून चूसने वाला ब्याज वसूलने वाले फाईनैंसर तक भी बन चुके हैं।


पूर्व एमवीआई के खिलाफ दर्ज मामले में आया था नाम, ऊंची पहुंच व राजनीतिक कनैक्शन ने बचाई जान


जालंधर की बात करें तो कुछ समय पहले पूर्व एमवीआई (मोटर व्हीकल इंसपैक्टर) नरेश कलेर के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था। जिसमें कुछ निजी एजैंटों की भूमिका भी सामने आई थी। इसमें सबसे प्रमुख नाम एक ऐसे एजैंट का था, जो बहुत ही मीठी ज़ुबान वाला है और पिछले कई सालों से जालंधर के कई रसूखदारों व राजनितिज्ञयों के साथ अपने घनिष्ठ संबध रखने के साथ-साथ आरटीओ दफ्तर में काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को चाय से लेकर लंच व समय-समय पर बर्थ-डे केक भी पेश करता रहा है। इसी एजैंट द्वारा न केवल जालंधर बल्कि पूरे पंजाब में बेहद तगड़ा नैटवर्क बनाकर रखा गया है। जिसके चलते इसके सारे जायज़-नाजायज़ काम बिना किसी रोक-टोक के हो जाते हैं।


कौन-कौन चला रहा है करप्शन का यह बड़ा नैटवर्क ?


इसके साथी हैं लगभग आधा दर्जन और एजैंट हैं जिनकी गैंग सारे काले कारनामों को अंजाम दे रही है। इसमें किंगपिन “अ” अक्षर वाला एजैंट है। जिसके साथ “एस”, “न”, “ह”, “स” अक्षर वाले एजैंट इस रैकेट की मुख्य कड़ियां हैं। कुछ एजैंट तो अवैध रूप से तहसील में बने बूथ पर बैठकर सरेआम अपना धंधा चला रहे हैं। जबकि कुछ ने डीसी दफ्तर के अंदर खुले में टेबल-कुर्सी लगाकर अपना सफऱ शुरू करके अब आलीशान दफ्तर बना लिया है और लगज़री गाड़ियां व महंगे फोन भी रखे हुए हैं। हैरानी वाली बात है कि सरकार व परिवहन विभाग का कहना है कि सरकारी दफ्तरों में किसी कीमत पर कोई भी एजैंट या करिंदा प्रवेश नहीं कर सकता। मगर उक्त एजैंटों का दबदबा इतना है कि आरटीओ दफ्तर के लालची कलर्क अपने साथ कुर्सी पर बैठाकर इनके सारे काम पहल के आधार पर कर रहे हैं।


पहले फिरोज़पुर-फाज़िल्का अब होशियारपुर-कपूरथला में एक्टिव हुआ गैंग


हाट न्यूज़ इंडिया द्वारा जिस स्कैंडल का पर्दाफाश किया गया था उसमें बताया गया था कि कैसे जालंधर में रहने वाले लोगों से 25-30 हज़ार रूपए जैसी मोटी राशी वसूलकर फिरोज़पुर व फाज़िल्का से पक्के लाईसैंस बनवाकर दे रहे थे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब यह गैंग होशियारपुर, कपूरथला में एक्टिव हो चुका है और यहां से पक्के लाईसैंस बनवाने का गोरखधंधा लगातार जारी है।


पुराने ट्रैक-रिकार्ड व काले कारनामों को अनदेखा करते हुए ट्रासंपोर्ट सोसाईटी में हुई नियुक्ति


सूत्रों की मानें तो ब्लैकलिस्ट की गई निजी कंपनी स्मार्ट चिप के कुछ पूर्व कर्मचारी जिनके खिलाफ सैंकड़ों शिकायतें थी, और कुछ के खिलाफ तो पर्चा भी हुआ था दर्ज एवं निजी कंपनी ने करप्शन के आरोप में काम से भी निकाला था। सूत्रों की मानें तो ऐसे पूर्व कर्मचारियों से लाखों रूपए की रिश्वत लेकर उनके पुराने ट्रैक-रिकार्ड व काले कारनामों को अनदेखा करते हुए उनकी नियुक्ति ट्रासंपोर्ट सोसाईटी में की गई और दोबारा से मलाईदार सीट यानि कि टैस्ट ट्राई लेने वाले कर्मचारी के तौर पर उन्हें ड्राईविंग टैस्ट ट्रैक व आरटीओ दफ्तर में तैनात कर दिया गया।


करप्शन के प्रति ने-टौलरैंस नीति की उड़ रही धज्जियां, कांग्रेसी विधायक के सवाल उठाने पर भी नहीं उठाया ठोस कदम


यही कारण है कि कुछ लालची किस्म के कर्मचारी जिनके लिए यह कहावत सटीक बैठती है कि चोर चोरी से जाए मगर हेराफेरी से न जाए। वह एक बार दोबारा से करप्शन का अपना गंदा खेल सरेआम खेल रहे हैं और न जाने क्या कारण है कि प्रदेश सरकार व सीएम भगवंत सिंह मान की सख्ती और करप्शन के प्रति नो टौलरैंस नीति होने के बावजूद अधिकारी सबकुछ पता होने के बाद भी आंखे मूंदकर कुंभकर्मी नींद सो रहे हैं और सरकार के आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां बताने लायक है कि जालंधर हल्का नार्थ के विधायक बावा हैनरी ने विधानसभा में बड़ी प्रमुखता से यह मुद्दा उठाया था, कि आखिर कुछ चुनिंदा ट्रैक जिसमें जालंधर का फिल्लौर भी शामिल है। वहां होने वाले अधिकतर टैस्ट पास होते हैं, जबकि अन्य ट्रैकों का आंकड़ा कुछ और कहानी बयान करता है। मगर इस मुद्दे का कोई फायदा ही नहीं हुआ और आज तक किसी दोषी के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया ही नहीं गया। इससे साफ पता लगता है कि कहीं न कहीं सिस्टम की खामियों एवं नियमों की आड़ में कुछ लोग अपना काला धंधा बुलंदियों तक पहुंचा चुके हैं और रोज़ाना लाखों रूपए की मोटी काली कमाई कर रहे हैं।