सिर्फ़ फ़ोटो खिंचवाने आये थे प्रधानमंत्री, इतनी भयानक बाढ़ में सिर्फ़ 1600 करोड़ का राहत पैकेज पंजाब का अपमान !
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पंजाब को 80 हज़ार करोड़ देने थे, माँग का सिर्फ़ 2 फ़ीसदी दिया
पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों द्वारा नगण्य राहत के लिए प्रधानमंत्री की कड़ी निंदा
चंडीगढ़, 9 सितंबर : पंजाब के कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां, हरदीप सिंह मुंडियां, हरभजन सिंह ई.टी.ओ., बरिंदर कुमार गोयल, लाल चंद कटारूचक्क और लालजीत सिंह भुल्लर ने आज प्रधानमंत्री द्वारा राज्य के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए 80,000 करोड़ रुपए की जायज़ मांग के उलट मात्र 1600 करोड़ रुपए का नगण्य राहत पैकेज देने की सख़्त आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री की घोषणा को केवल दिखावा करार दिया। कैबिनेट मंत्रियों ने कहा कि यह अल्प सहायता राज्य के उन लाखों लोगों के ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने के बराबर है, जिन्होंने पंजाब के इतिहास की सबसे भयानक बाढ़ में अपने घर, रोज़गार और फ़सलें खो दीं।
यहाँ जारी संयुक्त बयान में कैबिनेट मंत्रियों ने कहा, ‘पंजाब ने हाल ही के इतिहास की सबसे भीषण बाढ़ों में से एक का सामना किया है, जिसने घरों, फ़सलों और रोज़ी-रोटी को तबाह कर दिया और पूरे-पूरे गाँव पानी में डूब गए। ऐसी भयावह स्थिति में केंद्र द्वारा बाढ़ के भारी नुक़सान की तुलना में पंजाब के लिए घोषित राशि ऊँट के मुँह में ज़ीरे के समान है।’
कैबिनेट मंत्रियों ने कहा कि देश के अन्नदाता और सरहदों के रखवाले पंजाब के लोगों को ऐसी सौतेली मां वाले व्यवहार की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी।
कैबिनेट मंत्रियों ने आगे कहा कि जब पंजाब की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी टूट गई, तब ऐसे दिखावे की नहीं बल्कि तुरंत ठोस सहायता की आवश्यकता थी। मंत्रियों ने कहा कि राज्य द्वारा 20,000 करोड़ रुपए की मांग निराधार नहीं थी, बल्कि ज़मीनी स्तर पर हुए नुक़सान को ध्यान में रखते हुए लगाया गया अनुमान था।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि केंद्र का यह फ़ैसला किसानों, मज़दूरों और आम लोगों की दुर्दशा के प्रति आँखें मूँदने के बराबर है, जो अपनी ज़िंदगी को फिर से पटरी पर लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
कैबिनेट मंत्रियों ने कहा कि आपदा की इस कठिन घड़ी में प्रधानमंत्री को अपनी संकीर्ण गणनाओं से ऊपर उठकर पंजाब को पैकेज देने के लिए खुला और बड़ा दिल दिखाना चाहिए था। उन्होंने आगे कहा कि जब घर में आग लगी हो तो पानी की बूंदें नहीं गिनी जातीं। उन्होंने कहा कि इसी तरह नगण्य राहत किसी बड़े पैमाने की आपदा के घावों को नहीं भर सकती

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