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स्पोर्ट्स हब के कारण पटाखा मार्किट को किया मना, सर्कस को परमीशन पर उठ रहे सवाल !

PUBLISH DATE: 11-07-2025

लोगों की कीमती जान से भी हो रहा खिलवाड़, प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में


बल्टर्न पार्क में London Snow City Carnival बना विवाद का केंद्र, नगर निगम को लगाया 22 लाख का चूना


 


जालंधर,11 जुलाई : शहर के हृदयस्थल बल्र्टन पार्क में इन दिनों लगी सर्कस जनता के मनोरंजन का केंद्र बनी हुई है, लेकिन इसी स्थान को लेकर एक और बड़ी योजना प्रशासन की ओर से तैयार की जा रही है। पंजाब सरकार बल्र्टन पार्क को जल्द ही आधुनिक स्पोर्ट्स हब के रूप में विकसित करने जा रही है, जिसकी घोषणा पहले ही की जा चुकी है। ऐसे में इस स्थान पर अस्थायी व्यावसायिक आयोजनों की अनुमति को लेकर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं।


बल्र्टन पार्क, जहां एक ओर स्पोर्ट्स हब बनने का सपना आकार ले रहा है, वहीं दूसरी ओर वहां सर्कस जैसे आयोजन प्रशासन की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अगर सरकार वास्तव में खेलों को बढ़ावा देना चाहती है, तो उसे ज़मीन के उपयोग को लेकर स्पष्ट नीति बनानी होगी ताकि अस्थायी मनोरंजन और दीर्घकालिक विकास के बीच टकराव की स्थिति पैदा न हो।


अस्थायी सर्कस बनाम दीर्घकालिक विकास


बल्र्टन पार्क को खेलों को समर्पित एक अत्याधुनिक सुविधा केंद्र में परिवर्तित करने की योजना के तहत यहां बहुउद्देश्यीय इनडोर स्टेडियम, एथलेटिक ट्रैक, स्विमिंग पूल और प्रशिक्षण केंद्र विकसित किए जाने हैं। इसका उद्देश्य जालंधर को खेलों का हब बनाना और युवाओं को बेहतर बुनियादी ढांचा प्रदान करना है। लेकिन इसी जमीन पर सर्कस और अन्य अस्थायी कार्यक्रमों की अनुमति से यह संदेश जा रहा है कि प्रशासन की प्राथमिकताएं स्पष्ट नहीं हैं। सामाजिक संगठनों और खेल प्रेमियों का कहना है कि "जहां भविष्य का खेल गांव बनना है, वहां जानवरों और तंबुओं की सर्कस लगाना विसंगति है।"


लोगों की कीमती जान से भी हो रहा खिलवाड़, प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में


जालंधर के बल्टन पार्क में चल रहे लंदन शो सिटी कार्निवल किसी बढ़े हादसे को किसी भी समय अंजाम दे सकता है, जिसकी अपेक्षा शायद जालंधर के डीसी को भी है, बल्टन पार्क में भारी बारिश के पानी के बीच चल रहे इस मेले में हज़ारों कमियाँ हैं पर इसके बावजूद इस मेले को यहाँ लगाने की इजाज़त दी गई है, इस मेले में बारिश के पानी के बीच जहां बिजली की नंगी तारों का झंझाल है वहीं इस मेले में बाँसों के ऊपर भगवान के शिव के एक मंदिर पर पैदल चढ़कर जाने का रास्ता बनाया गया है जो किसी भी समय बाँस ज़मीन में धँस सकते है। सरेआम लोगों की कीमती जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। और प्रशासन की चुप्पी लगातार सवालों के घेरे में घिरती दिखाई दे रही है। क्या प्रशासन के लिए जनता की ज़िंदगी से ऊपर इस मेले से मिलने वाली कमाई है। प्रशासन को इसका जवाब शहर की जनता को देना होगा।


बिजली व सुरक्षा मानकों पर भी सवाल


बल्र्टन पार्क में लगी इस सर्कस को लेकर यह भी चर्चा है कि क्या आयोजकों ने PSPCL से अस्थायी बिजली कनेक्शन, पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से जनरेटर अनुमति, और फायर डिपार्टमेंट की NOC जैसे ज़रूरी कागज़ी औपचारिकताएं पूरी की हैं या नहीं। यदि ये अनुमति नहीं ली गईं, तो यह विद्युत अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन माना जाएगा।


ऐसे आयोजनों को लेकर क्या कहता है कानून


पंजाब (और संपूर्ण भारत) में सर्कस, मेला, झूला पार्क, या अन्य अस्थायी कार्यक्रमों को बिजली की आपूर्ति लेने और जनरेटर चलाने को लेकर कई तरह के नियम और कानूनों का पालन करना आवश्यक होता है। ये कानून विद्युत सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण, फायर सेफ्टी, और स्थानीय प्रशासनिक मंज़ूरी से संबंधित होते हैं। यहां विस्तार से जानकारी दी जा रही है कि कानून क्या कहता है



  1. बिजली सप्लाई लेने के लिए आवश्यक कानूनी प्रावधान

  2. a) बिजली वितरण कंपनी से अस्थायी कनेक्शन:



  • पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) से अस्थायी बिजली कनेक्शन (Temporary Electricity Connection) लेना आवश्यक होता है।

  • इसके लिए आवेदन करना होता है जिसमें आयोजन की अवधि, लोड का विवरण, लोकेशन, व ज़रूरी दस्तावेज देने होते हैं।

  • PSPCL सुरक्षा मापदंडों के अनुसार वायरिंग और मीटरिंग की जांच करती है, उसके बाद ही कनेक्शन देती है।



  1. b) विद्युत अधिनियम, 2003 (Electricity Act, 2003):



  • इस कानून के अनुसार, बिना लाइसेंस और बिना अनुमति के कोई भी बिजली का उपयोग या सप्लाई नहीं कर सकता।

  • बिना अनुमति बिजली का उपयोग "थैफ्ट ऑफ इलेक्ट्रिसिटी" (Section 135) की श्रेणी में आता है, जिसकी सजा जुर्माना और जेल दोनों हो सकते हैं।



  1. जनरेटर चलाने के लिए नियम

  2. a) पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की अनुमति:



  • पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (PPCB) से डीजल जनरेटर (DG Set) चलाने के लिए अनुमति जरूरी होती है, खासकर अगर जनरेटर 125 kVA या उससे अधिक क्षमता का है।

  • जनरेटर में अकॉस्टिक इनक्लोज़र (ध्वनि अवरोधक) होना अनिवार्य होता है ताकि शोर का स्तर तय मानकों (Noise Pollution Rules) से अधिक न हो।



  1. b) Environmental Protection Rules, 1986:



  • जनरेटर से निकलने वाले धुएं और ध्वनि को लेकर सख्त मानक तय किए गए हैं।

  • खुले में जनरेटर चलाना पर्यावरण नियमों का उल्लंघन माना जाता है।



  1. फायर सेफ्टी और सुरक्षा मानक



  • मेले/सर्कस स्थल पर बिजली और जनरेटर की वायरिंग को लेकर फायर डिपार्टमेंट से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेना ज़रूरी होता है।

  • जनरेटर से लगी आग या शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाओं को रोकने के लिए फायर एक्स्टिंग्विशर, इमरजेंसी लाइट, और सुरक्षित केबलिंग अनिवार्य होती है।



  1. स्थानीय प्रशासन और नगर निगम की अनुमति



  • आयोजन से पहले नगर निगम, पुलिस और तहसील प्रशासन से अनुमति लेनी होती है, जिसमें बिजली सप्लाई और जनरेटर उपयोग भी शामिल होता है।

  • कई स्थानों पर, बिजली विभाग के साथ नगर निगम भी बिजली शुल्क वसूलता है (यदि स्ट्रीट लाइट या पब्लिक कनेक्शन उपयोग में लाए गए हों)।


आवश्यक दस्तावेज:



  1. आयोजन की अनुमति (DM/SDM या पुलिस से)

  2. स्थल का नक्शा और जनरेटर/बिजली की वायरिंग प्लान

  3. Pollution Control Board की मंजूरी (यदि जनरेटर > 125 kVA हो)

  4. फायर डिपार्टमेंट की NOC

  5. PSPCL से टेम्परेरी कनेक्शन का अनुरोध पत्र


उल्लंघन की स्थिति में दंड :




























अपराध



कानून



सज़ा



बिना अनुमति बिजली लेना



Electricity Act, 2003 (Sec 135)



₹10,000 से अधिक जुर्माना, जेल



बिना अनुमति जनरेटर चलाना



Environment Protection Act, 1986



₹1 लाख तक जुर्माना या जेल



फायर सेफ्टी उल्लंघन



Fire Services Act



आयोजन रद्द, F.I.R.



 


कोई भी सर्कस या मेला यदि बिजली सप्लाई लेता है या जनरेटर चलाता है, तो उसे संबंधित विभागों की पूर्व अनुमति, पर्यावरण और सुरक्षा नियमों का अनुपालन और स्थानीय निकायों की मंजूरी प्राप्त करना आवश्यक होता है। नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना, आयोजन पर रोक या कानूनी कार्रवाई हो सकती है।


 


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बल्टर्न पार्क में London Snow City Carnival बना विवाद का केंद्र, नगर निगम को 22 लाख का चूना लगाने के लगे गंभीर आरोप


जालंधर के बल्टर्न पार्क, जिसे स्पोर्ट्स हब के रूप में विकसित किया जाना है, इन दिनों भारी विवाद की चपेट में आ गया है। London Snow City Carnival के नाम से चल रहे आयोजन ने नगर निगम को करीब 22 लाख रुपये के राजस्व नुकसान की ओर धकेल दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस स्कैंडल में केवल आयोजक ही नहीं, बल्कि निगम के कुछ अधिकारी भी संदेह के घेरे में हैं। जालंधर के स्पोर्ट्स हब के नाम पर होने वाला विकास अब सवालों के घेरे में है। सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग और निगम की संभावित लापरवाही ने यह साबित कर दिया है कि पारदर्शिता केवल नीतियों में है, जमीन पर नहीं। अब देखना होगा कि क्या मुख्यमंत्री कार्यालय इस मामले में कड़ी कार्रवाई करता है या यह मामला भी बीते घोटालों की तरह धुंध में खो जाएगा।


5000 नहीं, 15,000 वर्ग गज ज़मीन पर लगा मेला


नगर निगम ने आयोजकों को 44 दिनों के लिए 5000 वर्ग गज ज़मीन किराए पर दी थी, जिसकी एवज में 11 लाख की राशि निगम खजाने में जमा करवाई गई। लेकिन जब मौके की हकीकत जांची गई तो पता चला कि आयोजकों ने तीन गुना यानि 15,000 वर्ग गज ज़मीन पर पंडाल खड़ा कर लिया है। इस आधार पर वास्तविक किराया 33 लाख बनता है, यानि कि नगर निगम को सीधे तौर पर 22 लाख का नुकसान हो चुका है।


बिना अनुमति चल रही पार्किंग वसूली


घोटाले की फेहरिस्त यहीं खत्म नहीं होती। आयोजकों ने बिना किसी आधिकारिक अनुमति के पार्किंग की वसूली भी शुरू कर दी है। पंडाल के बाहर, सड़कों के दोनों किनारों पर आयोजकों के कारिंदे 10 से 100 प्रति घंटा तक पार्किंग शुल्क वसूल रहे हैं। जबकि नगर निगम की नीतियों के मुताबिक यह पूरी तरह अवैध है क्योंकि आयोजन स्थल के लिए पार्किंग की कोई जगह अलॉट नहीं की गई थी।


निगम की चुप्पी और जिम्मेदारी


सूत्रों के अनुसार, नगर निगम के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा संभव नहीं था। यही कारण है कि अब निगम के अधिकारी भी सवालों के घेरे में हैं। जब अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो उनका कहना था कि पंडाल की माप करवाने और अवैध कब्जे की जांच के लिए टीमें तैनात की जाएंगी, और जो भी अतिरिक्त ज़मीन इस्तेमाल की गई है, उसका किराया जुर्माने के साथ वसूला जाएगा।


आयोजकों ने रखा मौन, RTI एक्टिविस्ट करेंगे शिकायत


वहीं, इस मामले में RTI एक्टिविस्ट मुख्यमंत्री भगवंत मान के कार्यालय को औपचारिक शिकायत भेजने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि इस स्कैम में निगम के अफसरों की मिलीभगत साफ नजर आती है, वरना बिना निगरानी के इतना बड़ा पंडाल कैसे खड़ा हो सकता था ?


 


इस मुद्दे पर London Snow City Carnival के आयोजकों से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई जवाब देने से इंकार कर दिया। अगर London Snow City Carnival के आयोजक अपना पक्ष बताना चाहें तो बाट न्यूज़ इंडिया के WhatsApp 9877160000 पर लिखित में भेज सकते हैं।