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न्यूज़ इंपैक्ट - अदालती कारवाई में लापरवाही बरतने के लिए कलर्क अंग्रेज़ सिंह काे शाे-काज़ नाेटिस हुआ जारी !

PUBLISH DATE: 27-08-2024

डीसी की किरकिरी करवाने में सामने आ रही है एहम भूमिका !


2016 से थी केस की पूरी जानकारी, फिर भी नहीं निभाई अपनी ड्यूटी !



कुछ दिन पहले जालंधर के डीसी दफ्तर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया था, जिसमें कुछ सरकारी अधिकारियें व कर्मचारियें की लापरवाही एवं नालायकी के चलते डीसी जालंधर हिमांशु अग्रवार की सरकारी इनोवा गाड़ी, पंखे, एसी व फर्नीचर आदि को अटैच करने का बेहद सख्त आदेश स्थानीय अदालत की तरफ से जारी किया गया था। इस खबर को सबसे पहले हाट न्यूज़ इंडिया की तरफ से ही प्रकाशित किया गया था। जिसके बाद पूरे ज़िला प्रशासन में हडकंप वाला माहौल पैदा हो गया था और आननफानन में माननीय अदालत के अंदर अपना पक्ष रखकर एक महीने का समय लिया गया था, ताकि अदालत के पुराने आदेशों की पालना सुनिश्चित की जा सके।


हाट न्यूज़ इंडिया की तरफ से ही प्रकाशित खबर का असर उस समय देखने को मिला जब इस बात की खबर आई, कि डीसी की तरफ से इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया गया है और इस पूरे प्रकरण में एहम भूमिका निभाने वाले कलर्क अंग्रेज़ सिंह को एक शो-काज़ नोटिस जारी कर दिया गया है।


क्या है कलर्क अंग्रेज़ सिंह को जारी शो-काज़ नोटिस, क्या मांगा गया है जवाब ?


सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशासन की तरफ से कलर्क अंग्रेज़ सिंह को शो-काज़ नोटिस जारी करते हुए कहा गया है कि, उसकी तरफ से एगज़ीक्यूशन केस नं 14 आफ 2024 के अंदर पैरवी नहीं की गई। जबकि कलर्क को इस केस की पैरवी करने के लिए ज़िला अटार्नी (प्रासीक्यूशन) दफ्तर की तरफ से कई बार पत्र भेजे गए, मगर उक्त कलर्क ने किसी भी पत्र की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया, जिस वजह से माननीय अदालत में कई सरकारी संपत्तियों को अटैच कर दिया गया।


इस पूरे मामले में कलर्क की तरफ से गंभीर कोताही बरते जाने की बात भी कही गई है। जिसके चलते कलर्क को 2 दिन के अंदर-अंदर अपना जवाब देने के लिए कहा गया है। और जवाब न देने की सूरत में उसके खिलाफ बनती विभागीय कारवाई को अंजाम दिया जाएगा।


कलर्क अंग्रेज़ की क्या है इस केस में भूमिका, कैसे उसने बरती लापरवाही ?


कलर्क अंग्रेज़ सिंह की भूमिका इस केस में सबसे एहम इसलिए है, क्योंकि जब एगज़ीक्यूशन केस माननीय अदालत में दायर हुआ उस दौरान अदालत में जो कारवाई हुई उसकी इसे पूरी जानकारी थी। जिसका जीता-जागता सबूत है, कि माननीय अदालत ने बाकायदा तौर पर अपने फैसले तक में इस बात का उल्लेख किया था, कि तहसीलदार सेल्ज़ द्वारा हल्का कानूनगो, रेरू जालंधर को लिखे गए पत्र नं 501 मिति 10-10-2016 को कलर्क अंग्रेज़ ने सर्टिफाई और अटैस्ट किया था। इतना ही नहीं मैमो नं 4/52/2015-pal-5/Chandigarh जो कि तत्कालीन डीसी द्वारा जारी किया गया था,  उसकी फोटोकापी के भी कलर्क अंग्रेज़ सिंह ने सर्टिफाई और अटैस्ट किया था। इसके साथ ही चालान की कापी को भी कलर्क अंग्रेज़ सिंह ने सर्टिफाई और अटैस्ट किया था।


ऐसे में यह कैसे माना जा सकता है कि कलर्क अंग्रेज़ सिंह को इस मामले के बारे में कुछ भी पता ही नहीं था।


 


सदर कानूनगो एवं पटवारी के ऊपर भी गिर सकती है गाज !


इस पूरे मामले में लापरवाही बरतने के लेकर जहां कलर्क अंग्रेज़ सिंह की भूमिका सामने आ रही है, वहीं यह कहना भी गलत नहीं होगा कि सदर कानूनगो एवं संबंधित पटवारी का कोई कसूर नहीं है। आने वाले समय में इनके ऊपर गाज गिरने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।