अष्टामफराेश नितिन पाठक पर बैक डेट में अष्टाम बेचने के लगे गंभीर आराेप मामले में आया नया माेड़ !
डीसी दफ्तर से जारी लाईसैंस के साथ छेड़छाड़ की शिकायतकार्त ने जताई आशंका !
देहाती इलाके के लिए जारी लाईसैंस में पैसाें के दम पर तिकड़म के साथ शहरी पता कैसे हुआ दर्ज ?
कोरोना काल के दौरान जब पूरे भारत में लाकडाऊन (LOCKDOWN) लगा हुआ था और सब लाेगाें काे अपनी जानमाल की चिंता सता रही थी। वहीं जालंधर के एक बेहद शातिर किस्म का अष्टामफराेश (STAMP PAPER VENDOR) नितिन पाठक (NITIN PATHAK) एक दिन में 109 और 5 दिन मे कुल 156 अष्टाम बेचने एवं कुछ बैक-डेट (BACK-DATE STAMP PAPER) बेचने के आरापाें के चलते इंकम-टैक्स विभाग के राडार पर आया और मौजूदा समय के अंदर इसके खिलाफ चल रही पड़ताल कुछ अधिकारियाें व कर्मचारियाें के गले की हड्डी साबित हाेने लगी है। इस मामले में अब एक नया माेड़ सामने आया है, जब इस मामले में शिकायत दर्ज करने वाले शिकायतकर्ता ने डीसी दफ्तर की एचआरसी शाखा से साल 2002 में जारी अष्टामफराेश लाईसैंस नं 269/2002 के साथ छेड़छाड़ की आशंका जताई है।
दरअसल आराेपी नितिन पाठक के पास जालंधर देहाती का लाईसैंस था और कानूनन वह केवल अपने तयशुदा इलाके में बैठकर ही अष्टामाें की बिक्री कर सकता था। मगर शुरू से ही बेहद शातिर दीमाग वाले इस अष्टामफराेश ने एक दिन भी देहाती इलाके में अष्टाम नहीं बेचे, बल्कि तहसील के अंदर अपनी ऊंची पहुंच व तगड़ी सैटिंग के चलते गैर-कानूनी ढंग के साथ अष्टाम बेचता रहा।
शिकायतकर्ता ने प्रशासन काे एक पत्र लिखकर उसकी फीस वापिस ज़ब्त करने एवं उसका ओरीजनल लाईसैंस उससे वापिस मंगवाने के लिए लिखा है। जिसकाे लेकर फिल्हाल काेई कारवाई नहीं की गई है। मगर शिकायतकर्ता की आशंका में उस समय काफी दम दिखाई देता है। जब लाईसैंस काे गौर से देखते हैं, ताे उसमें साफ तौर पर पता लगता है कि किसी ने बड़ी सफाई से उसके देहाती पते वाली लाईन (कालम) में उसके जालंधर शहरी रिहायश का पता लिखकर एक जुगाड़ लगाने का प्रयास किया है। ताकि वह यह कह सके, कि उसके पास ताे शहरी इलाके में अष्टाम बेचने की परमीशन है।
यहां बताने लायक है कि इस लाईसैंस काे देखकर काेई भी आसानी से कह सकता है, कि अलग स्याही वाले पैन से लाईसैंस के ऊपर बाद में यह पता दर्ज किया गया है। अब यह पता उसने खुद दर्ज किया है या फिर एचआरसी शाखा के किसी काबिल कर्मचारी ने यह कारगुज़ारी दिखाई है। इसका पता ताे गहन जांच-पड़ताल के बाद ही लग सकता है। और अगर शिकायतकर्ता की आशंका सही साबित हाेती है, ताे नितिन पाठक के खिलाफ सरकारी दस्तावेज़ के साथ छेड़छाड़ करने का मामला भी जुड़ सकता है और इसके लिए उसके खिलाफ पुलिस धाेखाधड़ी का मामला भी दर्ज कर सकती है।
देखें एचआरसी शाखा द्वारा जारी लाईसैंस, जिसके साथ छेड़छाड़ की गई है
डीआरओ दफ्तर एक बार दाेबारा से एसडीएम-2 को जांच मुकम्मल करने के लिए लिखेगा पत्र
जैसे कि हमने पहले बताया था कि कैसे डीआरओ दफ्तर की तरफ से डीसी के आदेशानुसार आराेपी अष्टामफराेश की जांच-पड़ताल के लिए सबसे पहले पत्र नं 157 एच.आर.सी. मिति 04-03-2024 और बाद में दूसरा पत्र नं 135 एच.आर.सी. मिति 10-04-2024 लिखा गया था और अब तीसरा पत्र नं 713 एच.आर.सी. मिति 30-07-2024 लिखा गया है। जिसमें कहा गया है कि पहले भेजे गए 2 पत्राें के आधार पर एसडीएम-2 दफ्तर से जो पड़ताल रिपाेर्ट प्राप्त हुई थी, उसका सही अवलाेकन करने के बाद पाया गया है कि शिकायत के आधार पर उक्त रिपाेर्ट सही तथ्याें पर आधारित नहीं थी। इसीलिए डीसी के आदेशानुसार शिकायतकर्ता द्वारा ई-मेल व शिकायत जिसका ज़िक्र इंकम टैक्स विभाग से आई चिट्ठी में भी किया गया था, एवं साथ ही सरकार से आए पत्र का अवलाेकन करने के बाद दाेबारा से पड़ताल करके 4 हफ्ते में समयबद्व स्वःस्पष्ट रिपाेर्ट अपनी टिप्पणी सहित भेजी जाए। जिसके जवाब में एसडीएम-2 दफ्तर ने एक बार दाेबारा से भेजकर अपने पत्र नं 350 मिति 06-08-2024 में लिखा है कि, अष्टामफराेश संबधी लाईसैंस डीसी दफ्तर एचआरसी शाखा द्वारा जारी किए जाते हैं और इस संबधी सारा रिकार्ड भी एचआरसी शाखा में ही मौजूद रहता है। इसीलिए इस शिकायत की पड़ताल एचआरसी शाखा के इंचार्ज के स्तर पर करवाई जाना याेगय हाेगा।
मगर अब डीआरओ दफ्तर की तरफ से एक बार फिर से एसडीएम-2 के पास लिखित पत्र भेजकर इस मामले की पड़ताल बिना किसी विलंभ करने के लिए कहा जाने वाला है। अब एसडीएम-2 इसकी जांच करते हैं या फिर एक बार फिर से अपना पल्ला झाड़ते हुए गेंद डीआरओ के पाले में फैंक देते हैं, यह ताे आने वाला समय ही बेहतर बताएगा, मगर इतना तय है कि इस मामले में निरंतर हाे रही देरी कई सवाल ज़रूर पैदा कर रही है।
क्या कहना है डीआरओ का ?
जब इस संबधी डीआरओ नवदीप सिंह भाेगल के साथ बात की गई ताे उन्हाेंने कहा कि इस पहलु की उन्हें काेई जानकारी नहीं है। मगर वह इसकी जांच करवांएगे और अगर वाकई लाईसैंस के साथ काेई छेड़छाड़ की गई पाई जाती है ताे दोषियाें के खिलाफ बनती कानूनी कारवाई के लिए डीसी काे लिखा जाएगा।
डीसी द्वारा दी गई 4 हफ्ते की डैडलाईन समाप्त हाेने के बाद भी पड़ताल रिपाेर्ट के न बनने पर उन्हाेंने कहा कि वह निजी तौर पर एसडीएम-2 के साथ बात करके इस मामले मे पहल के आधार पर पड़ताल खत्म करके जल्द से जल्द रिपाेर्ट सबमिट करने के लिए कहेंगे।
क्या है मामला, कैसे आया था सामने, अब तक क्या हुई कारवाई, क्या है ताज़ा स्थिति ?
इस मामले यह बताने लायक है कि जालंधर के एक मश्हूर चर्च के ऊपर इंकम टैक्स विभाग ने रेड (RAID) की थी, जिसमें शहर के नामी धार्मिक व्यक्ति की पड़ताल के दौरान उक्त अष्टामफराेश की भूमिका (INVOLVEMENT) सामने आई। जिसमें टैक्स बचाने के लिए कुछ अष्टामाें का इस्तेमाल करने की बात सामने आने पर जब उक्त अष्टामाें के बारे में पड़ताल की गई ताे पाया कि 27-03-2020 काे नितिन पाठक नाम के एक अष्टाम फराेश ने एक ही दिन में अपने रजिस्टर पर दर्ज सीरियल नंबर 3226 से 3382 तक कुल 109 अष्टामाें की बिक्री की, जबकि उस समय पूरे देश में लाकडाऊन लगा हुआ था। जिसमें यह भी पता चला कि सीरियल नं 3362 के बाद पैन की स्याही (INK) में भी फर्क है और सीरियल नं (SERIAL NO.) 3363 व 3364 ब्राईट मीडिया (BRIGHT MEDIA) काे बेचा गया और बाद में 3364 के बाद एक बार दोबारा से पैन की स्याही 3363 से पहले वाली ही इस्तेमाल की गई है।
अष्टामफराेश नितिन पाठक की इंकम टैक्स एक्ट (INCOME TAX ACT), 1961 की धारा (SECTION) 131(1ए) के तहत आन-ओथ स्टेटमैंट (ON-OATH STATEMENT) 07-08-2023 काे विभाग (DEPARTMENT) द्वारा रिकार्ड (RECORD) की गई थी। जिसमें उसने इस बात काे स्वीकार किया था, कि 2 बैक-डेट (BACK DATE) के अष्टाम 27-03-2020 काे उसके द्वारा ब्राईट मीडिया बेचे हैं जाे असलीयत में उसने मई, 2023 काे बैक-डेट डालकर बेचे थे।
इसके पश्चात 11-08-2023 काे नितिन पाठक ने एक एफीडैविट (AFFIDAVIT) के साथ इंकमटैक्स विभाग के पास एक पत्र भेजा, जिसमें उसने लिखा कि 07-08-2023 काे दबाव व धमकी के चलते उससे बयान दर्ज करवाए गए कि उसने ब्राईट मीडिया काे अष्टाम बैक-डेट में बेचे हैं। जिसके चलते इंकम टैक्स विभाग की तरफ से उसे 18-08-2023 काे धारा 131(1ए) के तहत 22-08-2023 काे निजी तौर पर पेश हाेने के लिए सम्मन जारी किए गए थे, मगर वह उक्त तारीख काे पेश नहीं हुआ।
इसके बाद एक बार दाेबारा से 29-08-2023 काे उसे सम्मन भेजकर काफी जानकारी मांगी गई, मगर व न ताे पेश हुआ और न ही उसने काेई जवाब भेजा। जिसके बाद इंकम टैक्स विभाग की तरफ से डीसी के पास पूरे मामले की जानकारी देकर उसकी गहन पड़ताल करके बनती कारवाई के लिए लिखा गया था।
इस मामले की ताज़ा स्थिति यह है कि न ताे आज तक नितिन पाठक के खिलाफ कोई जांच की गई है और न ही काेई कारवाई की गई। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार द्वारा भी 26-04-2024 और बाद में 26-06-2024 काे डीसी जालंधर काे इस मामले की पड़ताल करके रिपाेर्ट 15 दिन के अंदर भेजने एवं उसके खिलाफ की गई कारवाई की जानकारी विजीलैंस ब्यूरो व शिकायतकर्ता काे भेजने के लिए एक चेतावनी पत्र भेजकर कहा गया था, मगर आज तक इस आदेश की पालना सुनिश्चित करना भी ज़रूरी नहीं समझा गया।
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