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एसडीएम-2 ने सब-रजिस्ट्रार-2 के जबाव पर जताई अंसतुष्टी, कहा दाेबारा तथ्याें के आधार पर भेजी जाए रिपाेर्ट
"जाली एनओसी" बनाने का "मास्टरमाईंड" केवल 'निगम' में ही नहीं बल्कि 'तहसील' में भी है मौजूद !
हाल ही में अखबारों की सुर्खियां बटाेरने वाले "जाली एनओसी कांड" के तार जालंधर की तहसील से भी जुड़े हुए हैं। इस पूरे मामले में एक कारपाेरेट कंपनी की भांती पूरी गिराेह इसकाे अंजाम देने में लगा हुआ था। इस संबधी पहले ही हाट न्यूज़ इंडिया की तरफ से खुलासा किया जा चुका है। हालांकि इस बात की खबर आ रही है कि इस पूरे मामले का मास्टरमाईंड निगम में काम करने वाला एक व्यक्ति है, मगर आरटीआई एक्टिविस्ट संजय सहगल द्वारा की गई एक शिकायत में जेडीए की एक एनओसी का ज़िक्र किया गया है, जिसकी जांच एसडीएम-2 द्वारा की जा रही है।
इसी जांच के दौरान कुछ नए पहलु सामने आए हैं, जिसमें पता लगा है कि सब-रजिस्ट्रार-2 ने इस मामले में जाे जवाब भेजा था, उसकाे लेकर एसडीएम-2 संतुष्ट नहीं हैं। जिसके चलते उन्हाेंने एक नया पत्र सब-रजिस्ट्रार-2 काे भेजा है, जिसमें कहा गया है कि वह शिकायत के मुताबिक इसके सही एवं पूरे तथ्याें के साथ अपनी रिपाेर्च बिना किसी विलंभ के उनके पास भेजें। इतना ही नहीं अपने पत्र में उन्हाेंने एक बेहद चौंकाने वाला एवं हैरान-परेशान करने वाला सवाल भी खड़ा किया है, कि ना ताे "नगर निगम" ने और न ही "पुडा" ने "एनओसी" जारी की है, फिर भी "सब-रजिस्ट्रार दफ्तरों" में रजिस्ट्रियां कैसे हाे रही हैं ?
क्या है मामला, कैसे आया था सामने ?
कुछ समय पहले नगर निगम में आ रही कुछ शिकायताें के आधार पर जब मामले की गहन पड़ताल की गई ताे पाया गया कि बिल्डिंग विभाग से एनओसी जारी ही नहीं की गई, मगर कुछ लाेगाें द्वारा जाली एनओसी बनाकर नगर निगम, ज़िला प्रशासन एवं सरकार काे ठगा गया है। इसी के साथ आरटीआई एक्टिविस्ट संजय सहगल ने भी ज़िला प्रशासन के पास एक शिकायत दी थी जिसके आधार पर अब ज़िला प्रशासन द्वारा भी इस मामले में जांच-पड़ताल आरंभ की जा चुकी है। और शिकायतकर्ता काे भी सबूत पेश करने के लिए कहा गया था।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार तहसील में बिना वसीका नवीस लाईसैंस के काम करने वाले एक 'शातिर महाठग' एक 'लाईसैंसशुदा वसीका नवीस' द्वारा सरकारी दफ्तर में काम करने वाले कुछ निजी करिंदाें की मिलिभगत के साथ इस पूरे काम काे अंजाम देने में लगे हुए हैं। और इस गलत काम से जहां यह सरकारी खज़ाने काे चूना लगाने का काम कर रहे हैं वहीं साथ ही साथ आम जनता काे धाेखा देकर उनसे रिश्वत के नाम पर माेटी राशी डकारने में भी लगे हुए हैं।
क्या है संजय सहगल द्वारा दी गई शिकायत, क्या लगाए गए हैं आराेप ?
संजय सहगल द्वारा एक लिखित शिकायत में गंभीर आराेप लगाते हुए कहा गया है कि साल 2019 से लेकर 2023 तक सब-रजिस्ट्रार जालंधर-1 और 2 दफ्तराें में एनओसी के आधार पर रजिस्टर किए गए दस्तावेजों की एक हाई-लैवल कमेटी का गठन करके जांच करवाई जाए और इसके लिए सभी संबंधित पक्ष जैसे कि मालिक, जेडीए के कलर्क जिनके द्वारा एनओसी जारी की गई, वसीका नवीस, सब-रजिस्ट्रार, आरसी आदि की जांच करके दाेषियाें के खिलाफ जालसाजी एवं धाेखाधड़ी से संबिधत बनती धाराएं लगाकर मामला दर्ज किया जाए।
अपनी शिकायत में संजय सहगल ने कहा है कि इस पूरे मामले में माफिया सरकारी खज़ाने काे लाखाें-कराेड़ाें रूपए का मोटा चना लगा रहा है। क्याेंकि इस मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकारी रिकार्ड से जाली एनओसी की कापी काे गायब किया जा चुका है।
संजय सहगल द्वारा सेल-डीड नंबर 35859 मिति 26-02-2019 में जेडीए द्वारा जारी की गई एनओसी नं 507333 मिति 02-02-2019 का ज़िक्र किया गया है, जिसमें जाली एनओसी काे आधार बनाकर रजिस्टरी की गई और बाद में उक्त जाली एनओसी काे रिकार्ड में से गायब कर दिया गया।
पढ़ें एसडीएम-2 द्वारा सब-रजिस्ट्रार-2 के पास भेजा गया नया पत्र
क्या है सब-रजिस्ट्रार जालंधर-2 द्वारा एसडीएम-2 के पास भेजा जा चुका जवाब, जिसको लेकर जताई गई है असंतुष्टि ?
इस मामले में जब सब-रजिस्ट्रार जालंधर-2 दफ्तर से जानकारी प्राप्त की गई ताे पता चला कि उक्त शिकायत संबंधी पूरी जाचं करके एसडीएम-2 के पास जवाब 15 जुलाई काे ही भेजा जा चुका है। जिसमें साफ किया गया है कि उक्त सेल-डीड 26-02-2019 काे सुखवंत शर्मा पुत्र ओम प्रकाश शर्मा की तरफ से रसीद नं पीबी 1326451902395 द्वारा रजिस्टर करवाया गया था। इसके इलावा यह भी कहा गया कि अगर उक्त रसीद के साथ पहले ही दस्तावेज रजिस्टर हाे चुका है ताे वसीका नवीस द्वारा दाेबारा से उक्त रकबे का वसीका रजिस्टर करवाने के लिए रसीद की मांग क्याें की जा रही है।
शिकायतकर्ता संजय सहगल के बयान भी दर्ज किए गए हैं। जिसके बाद वसीका लिखने वाले वसीका नवीस पवन कुमार (बब्बी) का भी बयान दर्ज करवाया गया, जिसमें उसने कहा कि उसके पास मालिक सारे दस्तावेज लेकर आए थे, जिनके आधार पर उसने वसीका लिखकर उन्हें दे दिया था और अधिकारी के पास मालिक खुद ही पेश हुए थे।
इस मामले में सबसे खास बात जाे सामने आई कि जगह काे बेचने वाले और खरीदने वाले दोनाें पक्षाें को रजिस्टर्ड पाेस्ट से जब नाेटिस भेजे गए ताे दाेनाें ही "पता सही नहीं है" के साथ वापिस आ गए।
एनओसी गायब करने के मामले में निजी करिंदों की भूमिका आ रही सामने
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जाली एनओसी के आधार पर अधिकारियाें की आंखाें में धूल झोंकर दस्तावेज रजिस्टर करवाने के उपरांत अपनी जान बचाने के उ्ददेश्य से सरकारी रिकार्ड के अंदर से एनओसी काे गायब करवाने के मामले में इन दफ्तराें में काम करने वाले निजी करिंदाें की भूमिका सामने आ रही है।
अगर इस मामले की गहन पड़ताल की जाती है ताे तहसील में सक्रिय एक बड़े माफिया काे बेनकाब करने में सफलता प्राप्त हाे सकती है।

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