लाकडाऊन के दौरान बैक डेट में अष्टाम बेचने के आराेपी नितिन पाठक पर प्रशासन इतना मेहरबान क्यों ?
गंभीर दाेष लगने के बाद भी संबंधित विभाग क्याें नहीं निभा रहे अपनी ड्यूटी ? एचआरसी शाखा की भूमिका भी संदेह के घेरे में ?
कई महीन से सरकार मांग रही जांच-रिपाेर्ट, अभी तक क्याें पड़ी है ठंडे बस्ते में ? किसके संरक्षण के चलते नहीं हाे रही काेई कारवाई ?
कोरोना काल के दौरान जब पूरे भारत में लाकडाऊन (LOCKDOWN) लगा हुआ था और सब लाेगाें काे अपनी जानमाल की चिंता सता रही थी। वहीं जालंधर के एक बेहद शातिर किस्म के अष्टामफराेश (STAMP PAPER VENDOR) नितिन पाठक (NITIN PATHAK) द्वारा कुछ अलग ही खेला चल रहा था। लाकडाऊन के दौरान उसने जहां एक दिन में 109 और 5 दिन मे कुल 156 अष्टाम बेच डाले, जिसमे कुछ बैक-डेट (BACK-DATE STAMP PAPER) भी थे।
यह खेला चाहे आगे भी चलता रहता, मगर इसी दौरान शहर के एक नामी चर्च पर इंकम-टैक्स की रेड हुई और एक धार्मिक व्यक्ति की जांच के दौरान उक्त अष्टामफराेश की भूमिका सामने आई।
मगर न जाने क्या कारण है कि प्रशासन इस अष्टाम-फराेश पर ज़रूरत से अधिक मेहरबान है क्याेंकि इंकम-टैक्स विभाग, ( INCOME TAX DEPARTMENT) विजीलैंस (VIGILENCE BUREAU) एवं सरकार (PUNJAB GOVERNMENT) द्वारा भी कई बार प्रशासन (ADMNISTRATION) काे लिखे जाने के बाद भी आज तक इसके खिलाफ काेई कारवाई ही नहीं की गई।
इतना ही नहीं आज तक इस मामले की जांच रिपाेर्ट (INVESTIGATION REPORT) भी सरकार के पास न भेजकर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि नितिन पाठक काे बचाने के लिए जहां एक धार्मिक व्यक्ति की तरफ से पूरा ज़ाेर लगाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ कुछ राजनीतिक लाेग भी इसे बचाने के लिए एड़ी-चाेटी का ज़ाेर लगा रहे हैं। इतना ही नहीं जांच काे प्रभावित करने के लिए प्रशासन के कुछ लालची किस्म के लाेगाें के साथ "साम-दाम" वाली नीति का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
यहां यह भी बताने लायक है कि उक्त अष्टामफराेश के पास लाईसैंस काे देहाती इलाके का है, मगर वह सरेआम प्रशासन के आदेशाें काे ठेंगा दिखाते हुए तहसील परिसर में अष्टामाें की बिक्री करते हुए देखा जाता रहा है। इतना ही नहीं वह खुद तहसील में न जाकर एक लैपटाप व प्रिंटर की मदद से एक व्यक्ति काे अपनी जगह किसी के बूथ पर बैठाकर अष्टामों की बिक्री का काम बदस्तूर करता रहा था। जिसका खुला हाट न्यूज़ इंडिया की तरफ से किया गया था। इस खबर के अंत में फेसबुक का वीडियाे लिंक भी डाला गया है, जिसे देखकर आप खुद ही अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इस अष्टामफराेश के हौंसले कितने बुलंद हैं।
क्या है मामला, कैसे आया सामने, कब क्या हुई कारवाई, क्या है ताज़ा स्थिति ?
इस मामले यह बताने लायक है कि जालंधर के एक मश्हूर चर्च के ऊपर इंकम टैक्स विभाग ने रेड (RAID) की थी, जिसमें शहर के नामी धार्मिक व्यक्ति की पड़ताल के दौरान उक्त अष्टामफराेश की भूमिका (INVOLVEMENT) सामने आई। जिसमें टैक्स बचाने के लिए कुछ अष्टामाें का इस्तेमाल करने की बात सामने आने पर जब उक्त अष्टामाें के बारे में पड़ताल की गई ताे पाया कि 27-03-2020 काे नितिन पाठक नाम के एक अष्टाम फराेश ने एक ही दिन में अपने रजिस्टर पर दर्ज सीरियल नंबर 3226 से 3382 तक कुल 109 अष्टामाें की बिक्री की, जबकि उस समय पूरे देश में लाकडाऊन लगा हुआ था। जिसमें यह भी पता चला कि सीरियल नं 3362 के बाद पैन की स्याही (INK) में भी फर्क है और सीरियल नं (SERIAL NO.) 3363 व 3364 ब्राईट मीडिया (BRIGHT MEDIA) काे बेचा गया और बाद में 3364 के बाद एक बार दोबारा से पैन की स्याही 3363 से पहले वाली ही इस्तेमाल की गई है।
अष्टामफराेश नितिन पाठक की इंकम टैक्स एक्ट (INCOME TAX ACT), 1961 की धारा (SECTION) 131(1ए) के तहत आन-ओथ स्टेटमैंट (ON-OATH STATEMENT) 07-08-2023 काे विभाग (DEPARTMENT) द्वारा रिकार्ड (RECORD) की गई थी। जिसमें उसने इस बात काे स्वीकार किया था, कि 2 बैक-डेट (BACK DATE) के अष्टाम 27-03-2020 काे उसके द्वारा ब्राईट मीडिया बेचे हैं जाे असलीयत में उसने मई, 2023 काे बैक-डेट डालकर बेचे थे।
इसके पश्चात 11-08-2023 काे नितिन पाठक ने एक एफीडैविट (AFFIDAVIT) के साथ इंकमटैक्स विभाग के पास एक पत्र भेजा, जिसमें उसने लिखा कि 07-08-2023 काे दबाव व धमकी के चलते उससे बयान दर्ज करवाए गए कि उसने ब्राईट मीडिया काे अष्टाम बैक-डेट में बेचे हैं। जिसके चलते इंकम टैक्स विभाग की तरफ से उसे 18-08-2023 काे धारा 131(1ए) के तहत 22-08-2023 काे निजी तौर पर पेश हाेने के लिए सम्मन जारी किए गए थे, मगर वह उक्त तारीख काे पेश नहीं हुआ।
इसके बाद एक बार दाेबारा से 29-08-2023 काे उसे सम्मन भेजकर काफी जानकारी मांगी गई, मगर व न ताे पेश हुआ और न ही उसने काेई जवाब भेजा। जिसके बाद इंकम टैक्स विभाग की तरफ से डीसी के पास पूरे मामले की जानकारी देकर उसकी गहन पड़ताल करके बनती कारवाई के लिए लिखा गया था।
इस मामले की ताज़ा स्थिति यह है कि न ताे आज तक नितिन पाठक के खिलाफ कोई जांच की गई है और न ही काेई कारवाई की गई। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार द्वारा भी 26-04-2024 और बाद में 26-06-2024 काे डीसी जालंधर काे इस मामले की पड़ताल करके रिपाेर्ट 15 दिन के अंदर भेजने एवं उसके खिलाफ की गई कारवाई की जानकारी विजीलैंस ब्यूरो व शिकायतकर्ता काे भेजने के लिए एक चेतावनी पत्र भेजकर कहा गया था, मगर आज तक इस आदेश की पालना सुनिश्चित करना भी ज़रूरी नहीं समझा गया।
पढ़ें सरकार द्वारा डीसी काे भेजे गए चेतावनी पत्र की कापी
एचआरसी शाखा भी घिरी संदेह के घेरे में
इस पूरे मामले में ज़िला प्रशासन की एचआरसी शाखा भी संदेह के घेरे में घिरती दिखाई दे रही है। क्याेंकि अष्टामफराेशाें के लाईसैंस आदि का सारा कामकाज एचआरसी शाखा ही देखती है। और किसकाे शहरी इलाके का लाईसैंस जारी किया गया है और किसी देहाती इलाके का, इसकाे देखने का काम भी एचआरसी शाखा का ही है। इतना ही नहीं किसी किस्म की शिकायत मिलने पर संंबधित अष्टामफराेश का रजिस्टर चैक करना, उसकी जांच-पड़ताल करना एवं ज़रूरत पड़ने पर लाईसैंस सस्पैंड या रद्द करने की सिफारिश करने का काम भी एचआरसी शाखा ही करती है।
डीआरओ दफ्तर ने एसडीएम-2 को सौंपी जांच, मगर एसडीएम-2 ने कहा एचआरसी शाखा से करवाई जाए पड़ताल
इस मामले में सबसे अधिक हैरान करने वाली बात है कि इंकम टैक्स विभाग द्वारा पिछले साल नवंबर महीन में डीसी काे लिखे गए पत्र से लेकर आज तक डीआरओ दफ्तर एवं एसडीएम-2 दफ्तर पड़ताल रूपी फाईल काे एक गेंद की तरफ अपने पाले से दूसरे के पाले में फैंकने का काम कर रहे हैं। जिससे न ताे आज तक पड़ताल ही पूरी हाे सकी है और न ही आराेपी अष्टामफराेश के खिलाफ काेई कारवाई हाे पाई है।
सूत्राें से प्राप्त जानकारी के अनुसार डीआरओ दफ्तर की तरफ से डीसी के आदेशानुसार आराेपी अष्टामफराेश की जांच-पड़ताल के लिए सबसे पहले पत्र नं 157 एच.आर.सी. मिति 04-03-2024 और बाद में दूसरा पत्र नं 135 एच.आर.सी. मिति 10-04-2024 लिखा गया था और अब तीसरा पत्र नं 713 एच.आर.सी. मिति 30-07-2024 लिखा गया है। जिसमें कहा गया है कि पहले भेजे गए 2 पत्राें के आधार पर एसडीएम-2 दफ्तर से जो पड़ताल रिपाेर्ट प्राप्त हुई थी, उसका सही अवलाेकन करने के बाद पाया गया है कि शिकायत के आधार पर उक्त रिपाेर्ट सही तथ्याें पर आधारित नहीं थी। इसीलिए डीसी के आदेशानुसार शिकायतकर्ता द्वारा ई-मेल व शिकायत जिसका ज़िक्र इंकम टैक्स विभाग से आई चिट्ठी में भी किया गया था, एवं साथ ही सरकार से आए पत्र का अवलाेकन करने के बाद दाेबारा से पड़ताल करके 4 हफ्ते में समयबद्व स्वःस्पष्ट रिपाेर्ट अपनी टिप्पणी सहित भेजी जाए।
इसके साथ ही जब तक इस केस का फैसला न हाे जाए, तब तक अष्टामफराेश काेई भी अष्टाम न बेचने पाए इसकाे भी यकीनी बनाया जाए।
डीआरओ द्वारा भेजे गए पत्र काे एक गेंद की भांती उछाल कर एसडीएम-2 दफ्तर ने एक बार दाेबारा से भेजकर अपने पत्र नं 350 मिति 06-08-2024 में लिखा है कि, अष्टामफराेश संबधी लाईसैंस डीसी दफ्तर एचआरसी शाखा द्वारा जारी किए जाते हैं और इस संबधी सारा रिकार्ड भी एचआरसी शाखा में ही मौजूद रहता है।
इसीलिए इस शिकायत की पड़ताल एचआरसी शाखा के इंचार्ज के स्तर पर करवाई जाना याेगय हाेगा।
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