जमीन सौदे की आड़ में NRI महिला से करोड़ों की ठगी, पिता-पुत्र फरार

फर्जी रसीद, झूठे दस्तावेज और कोर्ट केस का सहारा लेकर हड़पे पैसे पंजाब पुलिस ने दर्ज किया गैर-जमानती धाराओं में केस
जालंधर : जालंधर में एक भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक महिला से कथित रूप से करोड़ों रुपये की ठगी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। फोहल्ड़ीवाल स्थित जमीन के सौदे की आड़ में यह ठगी करने के आरोप में पुलिस ने चहार बाग निवासी विकास शर्मा उर्फ चीनू और उसके बेटे कार्तिक शर्मा को नामजद किया है। आईपीसी की धारा 420, 465, 467, 468, 471 और 120-बी जैसी संगीन व गैर-जमानती धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
आरोप है कि पिता-पुत्र ने एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत NRI महिला को जाल में फंसाकर करोड़ों की रकम हड़प ली और जब महिला विदेश से लौटकर असलियत जान पाई, तो खुद को ठगा महसूस किया। केस दर्ज होते ही आरोपी अपने मोबाइल बंद कर भूमिगत हो गए हैं।
यह मामला दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग NRI नागरिकों की गैरहाजिरी का फायदा उठाकर फर्जी दस्तावेज, कोर्ट केस और राजनीतिक संबंधों का इस्तेमाल कर करोड़ों की ठगी को अंजाम देते हैं। हालांकि इस बार पीड़िता की दृढ़ता और पुलिस जांच की गंभीरता ने मामले को उजागर कर दिया। अब देखना होगा कि फरार पिता-पुत्र को पुलिस कब तक गिरफ्तार कर पाती है।
ठगी की पूरी कहानी
शिकायतकर्ता इन्द्रजीत कौर, पत्नी हरदीप सिंह गोल्डी, वर्तमान निवासी अमेरिका, मूल रूप से जालंधर के GTB नगर में रहती हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि उन्होंने फोहल्ड़ीवाल गांव में स्थित अपनी खेती की जमीन को 6 लाख रुपये प्रति मरला के हिसाब से बेचने का सौदा कार्तिक शर्मा के साथ किया था। सौदे के तहत 1.25 करोड़ रुपये एडवांस दिए गए थे और एक एग्रीमेंट भी किया गया, जिसके अनुसार बाकी भुगतान बाद में कर रजिस्ट्री होनी थी।
NRI महिला एग्रीमेंट के बाद अमेरिका लौट गईं। जब वे दोबारा भारत लौटीं, तो उन्हें एक सिविल केस की जानकारी मिली, जो कार्तिक शर्मा ने कोर्ट में दायर किया था। कोर्ट की केस फाइल देखने पर उन्हें पता चला कि उसमें एक 2 करोड़ रुपये की नकद रसीद संलग्न है, जो उनके अनुसार उन्होंने कभी प्राप्त ही नहीं की थी।
फर्जी दस्तावेज और गढ़ी गई कहानी
पुलिस जांच के मुताबिक आरोपियों ने एक झूठी रसीद, जिसमें पीड़िता को नकद दो करोड़ रुपये दिए जाने का उल्लेख था, कोर्ट में बतौर सबूत पेश की। रसीद पर कार्तिक और उसके पिता विकास शर्मा दोनों के हस्ताक्षर थे। जांच में यह भी सामने आया कि एक व्हाट्सएप मैसेज, जिसमें पैसे देने की बात कही गई, को मार्च की तारीख में प्रस्तुत किया गया, जबकि रसीद पर तारीख एक महीने बाद की थी, इससे यह साफ हुआ कि पूरा मामला फर्जीवाड़े और दस्तावेजों की छेड़छाड़ पर आधारित था।
हाईकोर्ट से भी नहीं मिली राहत
जांच से बचने के लिए आरोपी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भी पहुंचे थे, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद पुलिस ने ठोस साक्ष्यों के आधार पर केस दर्ज किया।

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