EXCLUSIVE (जिमखाना अंदर की बात) क्लब में आयाेजित एक सरकारी पार्टी बनी पूरे शहर में चर्चा का विषय !
- क्लब किसी पुलिस छावनी में हुआ तब्दील, मेन गेट किए गए बंद
- सदस्याें के अंदर गहरे राेष की भावना व्याप्त, क्लब प्रबंधन पर उठा रहे सवाल
जालंधर, (ब्यूराे) शहर का अति प्रतिष्ठित क्लब जिमखाना जाे शहर के बीचाें-बीच बेहद प्राईम लाेकेशन पर स्थित है और जिसका मैंबर बनना हर किसी का सपना है। यह क्लब अक्सर सुर्खियाें में बना रहता है। कभी हर 2 साल बाद हाेने वाले चुनावाें काे लेकर, कभी क्लब के अंदर मिलने वाली सुविधाओं काे लेकर ताे कभी किसी अन्य कारण से शहर में क्लब काे लेकर बातें चलती रहती हैं।
क्लब सूत्राें से मिली जानकारी के अनुसार इस बार क्लब के अंदर हुई एक सरकारी पार्टी पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। इस पार्टी की खास बात यह थी, कि क्लब प्रधान कम डिवीज़नल कमिशनर काे इस पार्टी का हाेस्ट बताया जा रहा है। और इस पार्टी में बताैर मेहमान शामिल हाेने वाली हस्तियाें में कैबिनेट मंत्री, विधायक, डीसी, एसएसपी, प्रशासनिक अधिकारी व क्लब कार्यकारिणी सदस्य थे।
वैसे ताे यह पार्टी क्लब प्रबंधन की तरफ से की गई या फिर सरकार की तरफ से आयाेजित हुई, इसकाे लेकर काेई भी कुछ बाेलने के लिए तैयार नहीं है। मगर जिस बात काे लेकर क्लब सदस्याें के अंदर राेष व्याप्त है, वह यह कि पार्टी वाले दिन क्लब काे एक पुलिस छावनी के रूप में तब्दील कर दिया गया। क्लब के दाेनाें मेन गेट बंद कर दिए गए।
सूत्राें का कहना है कि क्लब रैस्टाेरैंट में किसी काे जाने की इजाजत नहीं दी गई, क्याेंकि उसे डिवीज़नल कमिशनर के नाम पर बुक किया गया था। क्लब के अंदर एक पार्क में सुरक्षा कर्मियाें के लिए खाने का इंतजाम किया गया था, जहां आम ताैर पर बच्चाें के झूले लगे हैं और बच्चे वहां खेलते हैं।
क्लब के मेन गेट बंद हाेने की वजह से बहुत बड़ी गिनती में क्लब सदस्याें काे लगा कि शायद किसी कारण से क्लब बंद है, इसलिए वह बाहर से ही वापिस मुड़ गए। जबकि सच्चाई यह थी, कि क्लब सदस्याें के अंदर प्रवेश पर काेई पाबंदी नहीं लगाई गई थी। क्लब सदस्याें के वाहन पार्क करने के लिए वैले सुविधा बाहर ही उपलब्ध करवाई गई थी। मगर बावजूद इसके बड़ी गिनती में सदस्याें काे लग कि शायद क्लब बंद है।
इस बात काे लेकर क्लब सदस्याें के बने हुए व्हाटसएप ग्रुपाें में भी सवाल-जवाब किए गए।
सूत्राें की मानें ताे पार्टी काे लेकर चर्चाएं उसी दिन शुरू हाे गई थी, मगर अगले दिन यह पूरे शहर की हाट टाक के रूप में बदल गया। वैसे क्लब के अंदर सरकारी पार्टियां हाेना काेई नई बात नहीं है। पूर्व में भी कई पार्टियां हाेती रही हैं। मगर इस बार जिस तरह से क्लब के मेन गेट बंद हुए, जिस तरह से सैंकड़ाें की गिनती में सुरक्षा कर्मचारी अंदर तैनात रहे, जिस तरह से रैस्टाेरैंट काे सदस्याें के लिए बंद कर दिया, इन सभी बाताें काे लेकर सवाल उठ रहे हैं।
सदस्याें का कहना है कि अगर सुरक्षा के चलते ऐसा किया गया ताे क्लब प्रधान के निवास पर पार्टी आयाेजित की जा सकती थी, इसके इलावा डीसी के निवास या फिर सर्किट हाउस में भी सरकारी पार्टी का आयाेजन किया जा सकता था। इसके साथ ही इस पार्टी के खर्च काे लेकर भी तरह-तरह की बातें चल रही हैं। हालांकि काेई भी सबंधित अधिकारी या क्लब प्रबंधन इसकाे लेकर कुछ भी कहने के लिए तैयार नहीं है। मगर क्लब सदस्याें के भीतर गहरे राेष की भावना ज़रूर पनप रही है।
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