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जालंधर पुलिस द्वारा की गई 2 F.I.R. से न केवल जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट बल्कि पूरे लाेकल बाड़ी विभाग में मचं हड़कंप !

PUBLISH DATE: 11-09-2024

चेयरमैन के ऊपर पुलिस काे गुमराह करने के लग रहे गंभीर आराेप, आरोपी स्टाफ ने काम से किया किनारा,दफ्तर से बनाई दूरी !


 




जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट (JALANDHAR IMPROVEMENT TRUST) जिसका पिछले लंबे समय से विवादों के साथ चाेली-दामंन का साथ बना हुआ है। वहां कुछ दिन पहले हुई एक घटना ने सबकुछ उथल-पुथल करके रख दिया। दरअसल जालंधर कमिशनरेट पुलिस (JALANDHAR COMMISSIONERATE POLICE) द्वारा एक ही दिन मिति 20-07-2024 काे एक साथ 2 एफआईआर (FIR) काटी गई। और इसमें सबसे खास बात यह थी, कि उक्त दाेनाें एफआईआर करवाने के लिए शिकायतकर्ता और काेई नहीं बल्कि खुद चेयरमैन जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट जगतार सिंह संघेड़ा (CHAIRMAN JALANDHAR IMPROVEMENT TRUST JAGTAR SINGH SANGHERA) थे। यह दाेनाें ही एफआईआर जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट के मुलाज़िमाें (EMPLOYEES) के खिलाफ काफी संगीन धाराओं (SERIOUS SECTIONS) के अंतर्गत काटी गई हैं। एक एफआईआर में 2 कलर्काें (CLERK) काे दाेषी बनाया गया है, जिसमें से एक ताे 4 महीने पहले रिटायर (RETIRE) भी हाे चुका है। जबकि दूसरा जालंधर दफ्तर (JALANDHAR OFFICE) में ही तैनात है। 


दूसरी एफआईआर ताे अपने आप में ही एक अलग उदाहरण है, जाे कि मौजूदा सरकारी अफसर (GOVERNMENT OFFICER) एक ईओ (EO) के खिलाफ दर्ज की गई है। इन दाेनाें एफआईआर काे लेकर न केवल जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट बल्कि पूरे लाेकल बाडी विभाग (LOCAL BODY DEPARTMENT) में हड़कंप सा मच गया है। कर्मचारियाें के बीच इसकाे लेकर गहरे रोष की भावना व्याप्त है। क्याेंकि उनका कहना है कि यह सरासर गल्त हुआ है। और चेयरमैन की तरफ से पुलिस प्रशासन (POLICE ADMNISTRATION) काे गुमराह करते हुए केवल अपनी राजनीतिक पहुंच (POLITICAL APPROACH) का इस्तेमाल करके बिना किसी प्राेसीज़र (PROCEDURE) की पालना करके और बिना किसी इंक्वायरी (ENQUIRY) के शिकायत (COMPLAINT) के केवल 72 घंटे में ही सरकारी मुलाज़िमाें के खिलाफ गलत ढंग से एफआईआर की गई है। 


जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट के आरोपी स्टाफ ने ही चेयरमैन के खिलाफ अपना राेष जाहिर करते हुए न केवल काम से किनारा कर लिया है, बल्कि दफ्तर से भी दूरी बनाते हुए छुट्टी लेकर चले गए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार काे जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट में केवल ईओ व अन्य स्टाफ ही मौजूद थे, जबकि पूरा दफ्तरी स्टाफ गैरमौजूद था। 


क्या कहना है मुलाज़िमाें का, क्याें चेयरमैन काे ठहरा रहे दाेषी, कैसे किया उन्हाेंने पुलिस काे गुमराह ?


जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट के मुलाज़िमाें का बिना नाम छापने की शर्त पर कहा गया, कि चेयरमैन जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट एक राजनीतिक पाेस्ट (POLITICAL POST) है और मौजूदा चेयरमैन काेई सरकारी व्यक्ति न हाेकर केवल एक राजनेता (POLITICIAN) हैं। उनके पास जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट के रूटीन कामकाज (ROUTINE JOBS) काे करने के लिए किसी प्रकार की काेई एडमनिस्ट्रेटिव पावर (ADMNISTRATIVE POWER) तक नहीं है। वह खुद निजी तौर पर किसी भी सरकारी मुलाज़िम जिसमें एक ईओ के स्तर का अधिकारी भी शामिल है, उसके खिलाफ पर्चे की सिफारिश करने के लिए पत्र जारी ही नहीं कर सकते। 


क्याेंकि नियमानुसार किसी भी सरकारी अधिकारी व कर्मचारी के खिफाल अगर काेई शिकायत आती है, ताे उसकी डिपार्टमैंट की तरफ से इंक्वायरी की जाती है। और ईओ वाले मामले में ताे पहले से ही हैडआफिस (HEAD OFFICE) में इंक्वायरी चल रही है। एक ही समय में दाे जगह इंक्वायरी नहीं चल सकती। और बतौर चेयरमैन जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट वह अधिक से अधिक यह कर सकते हैं, कि डिपार्टमैंट काे एक पत्र लिखकर संबंधित अधिकारियाें व कर्मचारियाें के खिलाफ इंक्वायरी करने संबधी कह सकते हैं। जबकि इस मामले में उन्हाेंने पुलिस प्रशासन से असलीयत छिपाते हुए सीधा यह साबित करने का प्रयास किया है कि उनके पास एडमनिस्ट्रेटिव पावर है और वह बिना किसी जांच-पड़ताल के सीधा ही सरकारी अधिकारियाें व कर्मचारियाें के खिलाफ पर्चे की सिफारिश कर सकते हैं।


पर्चे के बाद एक सरकारी मुलाज़िम की पत्नी ने सीपी से इंक्वायरी की लगाई गुहार 


सूत्राें से प्राप्त जानकारी के अनुसार पर्चा दर्ज हाेने के बाद एक मुलाज़िम मुख्तियार सिंह (MUKHTIAR SINGH) की पत्नी कुलदीप कौर (KULDEEP KAUR) ने जालंधर के सीपी स्वप्न शर्मा (CP SWAPAN SHARMA) से मुलाकात करके उनसे गुहार लगाई है, कि उक्त पर्चा पुलिस प्रशासन काे गुमराह करके करवाया गया है। इस मामले की जांच की जानी बेहद ज़रूरी है। सीपी ने मामले की गंभीरता काे देखते हुए एवं न्याय काे मुख्य रखते हुए एसपी स्तर के अधिकारी (SP RANK OFRFICER) काे इंक्वायरी मार्क कर दी है। 


मेरे ऊपर किया गया पर्चा गलत, मुझे पुलिस एवं न्यायतंत्र पर पूर्ण विश्वास - राजेश चौधरी


ईओ राजेश चौधरी (EO RAJESH CHOWDHRY) से जब इस बारे में बात की गई ताे उन्हाेंने कहा कि उनके ऊपर किया गया पर्चा बिल्कुल गलत है। मगर मुझे अपने पुलिस प्रशासन एवं न्यातंत्र पर पूर्ण विश्वास है कि मुझे इंसाफ ज़रूर मिलेगा। उन्हाेंने कहा कि चेयरमैन के पास काेई अधिकार ही नहीं है कि वह किसी भी सरकारी मुलाज़िम के खिलाफ पर्चे की सिफारिश के लिए पत्र लिख सकें। क्याेंकि बिना एगज़ूक्य़ूटिव आर्डर (EXECUTIVE ORDERS)  (समायत मंज़ूरी) के ऐसी कारवाई करना न्यायिक पक्ष से सही नहीं है।


अपने खिलाफ लगे इल्ज़ामाें काे लेकर उन्हाेंने कहा कि जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट की एक स्कीम गुरू अमरदास नगर में प्लाट नं 460 जिसका रकबा लगभग 2 मरले है, उसकी रजिस्ट्री गैरकानूनी ढंग से करवाने के लिए कहा गया है। जबकि इस मामले की असलीयत यह है कि उनके पास मिति 12-10-2023 काे जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट से एक पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया था, कि आखिर ज़ब्त की गई ज़मीन की कैसे अपने हस्ताक्षराें के साथ रजिस्ट्री करवा दी। 


जिसका बिना काेई समय गंवाए मिति 13-10-2023 काे उनकी तरफ से जवाब भेजा गया था, कि ज़ब्त की गई ज़मीन की रजिस्ट्री नहीं हाे सकती। इसके साथ ही जिस हस्ताक्षर की बात की जा रही थी, वह उनकी तरफ से नहीं किए गए थे। इसके इलावा उन्होंने ताे यहां तक कहा था, कि जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट के सभी कर्मचारियाें की हैंड-राईटिंग के सैंपल लेकर उसकी फौरेंसिक जांच करवाई जाए, ताकि असली दोषियाें काे बनती सज़ा मिल सके।


ईओ की पत्नी भी सीपी से इंक्वायरी की लगाने जा रही है गुहार


सूत्राें से प्राप्त जानकारी के अनुसार ईओ की पत्नी का मानना है कि चेयरमैन जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट के ऊपर पुलिस काे गुमराह करने एवं बिना एगज़ूक्य़ूटिव आर्डर (समायत मंज़ूरी) व बिना किसी पड़ताल के सीधा पर्चे की सिफारिश करना कई सवाल खड़े करता है। इसलिए ईओ राजेश चौधरी की पत्नी भी सीपी जालंधर के पास इस मामले की पड़ताल करने हेतु गुहार लगाने जा रही है, ताकि इसमें दूध का दूध और पानी का पानी किया जा सके। 



चेयरमैन के पास पूरा अधिकार, समायत मंज़ूरी की काेई ज़रूर नहीं - जगतार सिंह संघेड़ा


चेयरमैन जगतार सिंह संघेड़ा से जब इस बारे में बात की गई ताे उन्हाेंने कहा कि पंजाब टाऊन इंप्रूवमैंट एक्ट, 1922 के अनुसार जाे भी ट्रस्ट आदि बनते हैं, उसके रूल्ज़ के मुताबिक चेयरमैन पूरी तरह से सक्षम है कि वह किसी भी केस के लिए किसी प्रकार की इंक्वायरी करवाने के लिए, किसी भी केस काे अदालत में पेश करने के लिए उसके पास पूरा अधिकार है। प्रदेश सरकार की सुपरवीज़न एंड कंट्राेल है और यह भी रूल्ज़ के अनुसार ही हाेना है। इसके तहत किसी प्रकार की धाेखाधड़ी करने की ज़रूरत नहीं है। समायत मंज़ूरी केवल एंटी करप्शन एक्ट के तहत विजीलैंस काे लेनी हाेती है और वह भी केवल चालान पेश करने से पहले। 


अगर काेई चेयरमैन भी करप्शन करता है ताे उसे भी जेल जाना पड़ता है। इसलिए उन्हाेंने ताे केवल कागज़ाें के आधार पर जाे जालसाजी हुई है उसकाे उजागर किया है। काेई भी कलर्क बिना सरकारी आदेश के कैसे खुद ही तहसील में जाकर रजिस्ट्री करवा सकता है। इतना ही नहीं जब उससे फाईल मांगी जाती है, ताे वह न ताे फाईल ही देता है और जब फाईल की फाेटाेकापी करवाने के लिए कहा जाता है, ताे वह उसमें से कागज़ फाड़ देता है। ऐसे में उसके खिलाफ कारवाई क्याें न की जाए।


जहां तक आराेपी स्टाफ के गैर-हाज़िर हाेने का सवाल है ताे यह उन्हाेंने देखना है, मैंने ताे उनकी पड़ताल के लिए कहा है। आज पूरा दिन मैं दफ्तर में बैठकर काम करता रहा हूं और बाकी का सारा स्टाफ रूटीन कामकाज करता रहा है। 


देखें पुलिस द्वारा दर्ज की गई दोनाें एफआईआर की कापी


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